इस कानून का मकसद रेप के दोषसिद्धि में तेजी लाना और सख्त सजा देना है। पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी देखी गई है, जिसके बाद सरकार पर कड़े कानून लागू करने का दबाव बढ़ता जा रहा था।
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इमरान सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही रेप के दोषियों को नपुंसक बनाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर भी कर दिया था। पाकिस्तान के संविधान में भी भारत की तरह किसी भी अध्यादेश को एक निश्चित समयसीमा के अंदर संसद में पेश करना जरूरी है। इसलिए पाकिस्तान सरकार ने इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित करवाया है।
इस कानून के बाद देशभर में विशेष अदालतों का गठन होगा। उसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ रेप के मामलों की त्वरित सुनवाई होगी। कोर्ट चार महीने में सुनवाई पूरी कर लेगी। पहली बार या बार-बार रेप का अपराध करने वालों को नपुंसक किए जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसके लिए दोषी की सहमति भी लेनी होगी।
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कानून में सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान दवा देकर दोषियों को नपुंसक किए जाने का है। अधिसूचित बोर्ड के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कानून में प्रावधान किया गया है कि दुष्कर्म रोधी प्रकोष्ठ घटना की रिपोर्ट होने के छह घंटे के भीतर पीड़िता की जांच कराएगा। अध्यादेश के तहत आरोपियों को दुष्कर्म पीड़िता से जिरह की अनुमति नहीं होगी। केवल न्यायाधीश और आरोपी की ओर से पेश वकील ही पीड़िता से सवाल-जवाब कर पाएंगे।
जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों को तीन साल तक जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी और पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी की मदद से यौन उत्पीड़न के अपराधियों का डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा। प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए पिछले दिनों कड़ा कानून लाने की घोषणा की थी।