इसके बाद भारत ने जाधव को कांसुलर एक्सेस से पाकिस्तान के इनकार करने और मौत की सजा को चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यानी आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आईसीजे ने जुलाई 2019 में एक फैसला दिया। इसमें पाकिस्तान से कहा गया कि वह जाधव को कांसुलर एक्सेस दे और उसकी सजा की समीक्षा भी सुनिश्चित करे।
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5 अक्टूबर को इस्लामाबाद हाई कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने जाधव के लिए एक वकील नामित करने के संबंध में कानून मंत्रालय द्वारा मामले की सुनवाई की। पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने अदालत को बताया कि 5 मई को पारित एक आदेश में अधिकारियों से वकील की नियुक्ति के लिए भारत से संपर्क करने को कहा गया था। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि भारत को संदेश दिया गया था, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
खान ने अदालत को बताया कि भारत एक अलग कमरे में जाधव से कांसुलर एक्सेस चाहता है लेकिन उसे भारतीय प्रतिनिधियों के साथ अकेले छोड़ने का जोखिम नहीं उठाया जा सकता है। खान का दावा है कि पाकिस्तान आईसीजे की समीक्षा और पुनर्विचार के फैसले को लेकर कोशिश कर रहा है लेकिन भारत राह में रोड़ा अटका रहा है। वकील की नियुक्ति को लेकर खान ने कहा कि भारत बाहर से वकील नियुक्त करना चाहता है लेकिन हमारा कानून इसकी इजाजत नहीं देता और भारत भी अपने क्षेत्र में ऐसा ही करता है।
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चीफ जस्टिस मिनल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान आईसीजे के फैसले को लागू करना चाहता है। ऐसे में क्या उन्हें एक और मौका देना बेहतर नहीं होगा, जिससे वे अदालत के सामने अपनी आपत्तियां रख सकें।
समीक्षा के मसले पर कोई प्रगति नहीं हुई है क्योंकि भारत ने एक स्थानीय वकील को नियुक्त करने से इनकार कर दिया है। भारत ने पाकिस्तान से मांग की है कि एक भारतीय बकील को अदालत में जाधव का प्रतिनिधित्व करने दिया जाए। भारत ने पाकिस्तान से जाधव के मामले में समीक्षा की सुविधा के लिए लाए गए विधेयक में कमियों को दूर करने को कहा है।