पिता ने बेटे के लिए छोड़ा सफल करियर
गुकेश के इस सफर में उनके माता-पिता का अहम योगदान रहा है। पिता रजनीकांत ने अपने बेटे को चैंपियन बनाने के लिए अपना सफल करियर छोड़ दिया। रजनीकांत पेशे से एक ईएनटी सर्जन हैं। वहीं गुकेश की मां पद्मकुमारी माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। रजनीकांत ज्यादातर गुकेश के साथ टूर पर रहते हैं। ऐसे में घर का सारा भार पद्मकुमारी पर ही रहता है।
वित्तीय व भावनात्मक कठिनाइयों से गुजरे हैं
विश्व चैंपियनशिप में करोड़ों रुपए की इनामी राशि मिलने के बाद जब गुकेश से पूछा गया कि उनके लिए करोड़पति बनने के क्या मायने हैं तो उन्होंने कहा, यह बहुत मायने रखता है। गुकेश ने बताया, जब मैं शतरंज में आया तो हमें एक परिवार के रूप में कुछ बड़े और मुश्किल फैसले लेने पड़े। मेरे माता-पिता वित्तीय और भावनात्मक कठिनाइयों से गुजरे हैं। अब, हम अधिक सहज हैं और मेरे माता-पिता को उन चीजों के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है।
हमेशा याद रहता है पहला चेस बोर्ड
गुकेश ने कहा, व्यक्तिगत रूप से मैं पैसे के लिए शतरंज नहीं खेलता। मैं हमेशा याद रखता हूं कि मुझे पहला चेस बोर्ड कैसे मिला था। मैं अब भी वही बच्चा हूं जिसे शतरंज पसंद है। यह सबसे अच्छा खिलौना हुआ करता था। गुकेश के पिता ही उनके मैनेजर हैं और उनकी सभी ऑफ-बोर्ड गतिविधियों का ध्यान रखते हैं।
मां मेरी ताकत
गुकेश ने कहा, मां मेरी ताकत बनकर खड़ी रहती हैं। वे हमेशा यही कहती हैं कि मुझे यह जानकर खुशी होगी कि तुम एक महान शतरंज खिलाड़ी हो, लेकिन मुझे यह सुनकर अधिक खुशी होगी कि तुम एक महान व्यक्ति हो। गुकेश हमेशा कुछ नया सीखने के लिए प्रयासरत रहते हैं। गुकेश ने कहा, मैं जब भी मैं शतरंज बोर्ड पर होता हूं तो मुझे लगता है कि मैं कुछ नया सीख रहा हूं। यह असीमित सुंदरता की प्रक्रिया है।