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Patrika Interview: आर्मी ने मेरी किस्मत बदल दी, भारतीय टीम में जगह बनाना मेरा सपना

Patrika Interview: जोधपुर के 19 वर्षीय युवा खिलाड़ी अशोक बिश्नोई प्राइम वॉलीबॉल लीग में अपने प्रदर्शन से धमाल मचा रहे हैं। भारतीय सेना में कार्यरत अशोक से पत्रिका ने विशेष बातचीत की। पेश है उसके प्रमुख अंश।

Feb 26, 2024 / 08:12 am

lokesh verma

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सौरभ गुप्‍ता. छोटे से गांव गोडावास से निकलकर जोधपुर के 19 वर्षीय युवा खिलाड़ी अशोक बिश्नोई प्राइम वॉलीबॉल लीग के तीसरे संस्करण में धूम मचा रहे हैं। पहली बार इस लीग में खेल रहे अशोक भारतीय सेना में कार्यरत हैं। आर्मी में आने के बाद से ही उनकी किस्मत बदली है और उन्हें बड़े मौके मिले हैं। पत्रिका से खास बातचीत में अशोक ने कहा कि अब उनका सपना भारतीय टीम में जगह बनाना और देश का नाम रोशन करना है।

सवाल : वॉलीबॉल खिलाड़ी बनने की प्रेरणा आपको कहा से मिली?

जवाब : मैं गांव में वॉलीबॉल खेलता था। मेरे एक दोस्त ने कहा कि तुम अच्छा खेलते हो और तुम्हें इसमें ट्रेनिंग लेनी चाहिए। वो मुझे एक कोच के पास ले गया। वहां मैंने ट्रेनिंग लेनी शुरू की और इस तरह मैं नेशनल्स के लिए सलेक्ट हो गया। इस दौरान आर्मी के एक कोच को मेरा खेल काफी पसंद आया। उसने मुझसे आर्मी ज्वाइन करने के लिए कहा। आर्मी ज्वाइन करने के बाद मेरे करियर में काफी बदलाव आया।

सवाल : प्राइम लीग में आपका चयन किस तरह से हुआ?
जवाब : मैं हमेशा से ही बड़े स्तर पर खेलना चाहता था। मैं आर्मी की टीम के साथ इस साल की शुरुआत में साउथ में एक टूर्नामेंट खेलने के लिए आया था। यहां प्राइम लीग के लोगों को मेरा प्रदर्शन काफी अच्छा लगा। इसके बाद, मेरा ट्रायल हुआ और कालीकट हीरोज फ्रेंचाइजी ने मुझे अपनी टीम में शामिल कर लिया। इस लीग में खेलने से मुझे काफी सीखने को मिला है।

सवाल : आपने भविष्य के लिए क्या लक्ष्य तय किए हैं?
जवाब : मेरा अभी तक का सफर चुनौतीपूर्ण और शानदार रहा है। मेरा एक ही लक्ष्य है कि मैं भारतीय टीम के लिए खेलूं और इसके लिए मैं काफी मेहनत भी कर रहा हूं। इसके अलावा, मैं अपनी पढ़ाई पर भी काफी ध्यान देता हूं। मैं अभी 12वीं क्लास में हूं और मेरी कोशिश है कि मैं अच्छी एजुकेशन हासिल करूं।

सवाल : आपको अपने परिवार से कितना समर्थन मिला?
जवाब : मुझे अपने परिवार से हमेशा सहयोग मिला और यही कारण है कि मैं आज यहां तक पहुंचा हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। मेरे पिता कहते थे कि तुम और चीजों के बारे में चिंता मत करो और अपने खेल पर फोकस करो। यदि परिवार का सहयोग नहीं मिलता तो मैं शायद कभी खिलाड़ी नहीं बन पाता।

सवाल : इस लीग में खेलने से आपने अब तक क्या सीखा?
जवाब : यहां मुझे अपने सीनियर खिलाडिय़ों से सीखने को काफी मिला है। मैं उन्हें देखता हूं कि किस तरह से दबाव से निपटना है, अपने खेल को कैसे निखारना है और मैच में उतरने से पहले खुद को कैसे तैयार करना है।

सवाल : आप किस खिलाड़ी को अपना आदर्श मानते हैं?
जवाब : मैं अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनल को काफी पसंद करता हूं। मुझे जब भी समय मिलता है मैं फुटबॉल देखता हूं और खेलता भी हूं।

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