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आपकी बात…कोचिंग संस्थानों को सुरक्षा की दृष्टि से कैसे सुदृढ़ किया जा सकता है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

जयपुरDec 18, 2024 / 12:37 pm

Hemant Pandey

कोचिंग संस्थानों को सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान बनाने के लिए 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नामांकन पर रोक लगा देनी चाहिए। भ्रामक या मिथ्या दावे करके रैंक की गारंटी देने या अच्छे अंकों का आश्वासन देने पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा एवं शैक्षणिक दबाव के कारण होने वाले मानसिक तनाव और अवसाद के निवारण के लिए मनोचिकित्सकीय सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए।

कोचिंग संस्थानों को सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान बनाने के लिए 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नामांकन पर रोक लगा देनी चाहिए। भ्रामक या मिथ्या दावे करके रैंक की गारंटी देने या अच्छे अंकों का आश्वासन देने पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा एवं शैक्षणिक दबाव के कारण होने वाले मानसिक तनाव और अवसाद के निवारण के लिए मनोचिकित्सकीय सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए।

मिथ्या दावों पर रोक लगे


कोचिंग संस्थानों को सुरक्षित और भरोसेमंद स्थान बनाने के लिए 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नामांकन पर रोक लगा देनी चाहिए। भ्रामक या मिथ्या दावे करके रैंक की गारंटी देने या अच्छे अंकों का आश्वासन देने पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा एवं शैक्षणिक दबाव के कारण होने वाले मानसिक तनाव और अवसाद के निवारण के लिए मनोचिकित्सकीय सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। आईआईटी, मेडिकल संस्थानों में प्रवेश परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य करियर विकल्पों के बारे में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी जानी चाहिए। माता-पिता को छात्रों की उपस्थिति और गतिविधियों की जानकारी मोबाइल ऐप के माध्यम से प्रदान की जानी चाहिए। बुलिंग, शोषण या हिंसा को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। कोचिंग सेंटर में काम करने वाले सभी कार्मिकों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। छात्रावास में निवास करने वाले विद्यार्थियों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
-मोदिता सनाढ्य, उदयपुर

सुरक्षा मानकों का सख्त पालन हो

सभी कोचिंग संस्थानों को संचालित करने से पहले भवन सुरक्षा, अग्निशमन यंत्र, आपातकालीन निकासी द्वार और वेंटिलेशन जैसे बुनियादी मानकों का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। सुरक्षा प्रमाण पत्र, उपखंड अधिकारी और जिला कलेक्टर की अनुमति से जारी किया जाए।
-शंकर गिरि, हनुमानगढ़

क्षमता के अनुसार ही मिले प्रवेश

कोचिंग कक्षाओं में क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश देने पर रोक लगाई जाए। इंडियन बिल्डिंग कोड के मानकों के अनुरूप भवनों का निर्माण हो।
-विवेक नंदवाना, कोटा

रखी जाएं आपातकालीन सुविधाएं

प्रत्येक कोचिंग संस्थान में प्राथमिक चिकित्सा, ऑक्सीजन सिलेंडर और फायर सेफ्टी उपकरण जैसे साधन उपलब्ध हों। आपातकालीन सुरक्षा प्रशिक्षण नियमित रूप से आयोजित किया जाए।
-निर्मला देवी, अलवर

पुलिस वेरिफिकेशन हो और सीसीटीवी कैमरे लगाएं

कोचिंग भवनों और संस्थानों का रजिस्ट्रेशन पुलिस वेरिफिकेशन के साथ हो। सभी संस्थानों में सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।
-विनायक गोयल, रतलाम

नियमित जांच और सख्त कार्रवाई

कोचिंग संस्थानों की समय-समय पर जांच की जाए और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। जांच अधिकारियों की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
-गजेंद्र चौहान, डीग

अनुपालन सुनिश्चित करने की जरूरत

सरकार और प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स का धरातल पर पालन सुनिश्चित किया जाए। ओवरक्राउडेड क्लासरूम और बेसमेंट में संचालित कक्षाओं को तत्काल बंद कर दिया जाए।
-महेंद्र कुमार बोस, बाड़मेर

नैतिक जिम्मेदारी और जवाबदेही

कोचिंग संस्थानों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे सुरक्षा मानकों की अवहेलना न करें। सरकार की तरफ से हर संस्थान की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
-राजेंद्र पचार, चुरू

अन्य बुनियादी सुविधाएं भी ठीक हों

विद्यार्थियों के लिए टॉयलेट और पेयजल की समुचित व्यवस्था हो। शिक्षकों की जानकारी और संपर्क नंबर सार्वजनिक किए जाएं।
-ललित महालकरी, इंदौर

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