scriptवर्षों पहले गए परदेस पर दिल आज भी ‘राजस्थानी’: दूसरे राज्यों में सफलता के झंडे गाड़ने वाले प्रवासी आज भी हर काम में देते हैं सहयोग | They went abroad years ago but their hearts are still Rajasthani. Migrants who have achieved success in other states still cooperate in every work | Patrika News
नागौर

वर्षों पहले गए परदेस पर दिल आज भी ‘राजस्थानी’: दूसरे राज्यों में सफलता के झंडे गाड़ने वाले प्रवासी आज भी हर काम में देते हैं सहयोग

ये प्रवासी अपने मूल स्थान पर शिक्षा, चिकित्सा, इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में आर्थिक सहयोग देकर मातृभूमि से जुड़े हुए हैं।

नागौरDec 18, 2024 / 01:11 pm

shyam choudhary

Bhakar brothers
नागौर. रोजगार की तलाश में वर्षों पहले घर बार छोड़कर परदेस जाने वाले नागौर जिले के कई प्रवासी आज देश-विदेश में अपनी सफलता के परचम लहरा रहे हैं। एक समय रोजी-रोटी के लिए दूसरों के यहां मजदूरी करने वाले प्रवासी आज न केवल सैकड़ों युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि खुद सफल व्यवसायी होने के साथ समाजसेवा में बढ़-चढ़कर सहयोग देते हैं। ये प्रवासी अपने मूल स्थान पर शिक्षा, चिकित्सा, इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में आर्थिक सहयोग देकर मातृभूमि से जुड़े हुए हैं। फिल्म निर्माता केसी बोकाडि़या, बॉलीवुड गायक कलाकार सतीश देहरा, श्याम बजाज, डॉ. प्रहलाद फरड़ौदा, डॉ. आशु राड़ जैसे कई प्रवासी हैं जो नागौर आकर विभिन्न सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी निभाकर राजस्थानी होने की छाप छोड़ जाते हैं। इंग्लैण्ड में रहने वाले नागौर जिले के प्रवासी सहित राजस्थान के अन्य जिलों के प्रवासी हर साल ‘जीमण’, होली पर ‘रंगीलोराजस्थान’ सहित अन्य कार्यक्रम करवाते हैं और उनमें राजस्थान से कलाकारों को बुलाते हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस के मौके पर राजस्थान पत्रिका की मुहिम ‘प्रवासियों की जड़ें और उड़ानें’ के तहत हमने बात की ऐसे ही प्रवासियों से, जो व्यवसाय में सफल होने के बाद समाजसेवा में भी पूरी तरह सक्रिय हैं-
रोजगार की तलाश में गए, आज सैकड़ों को दे रहे

जिले के झोरड़ा निवासी रामनिवास भाकर व मदनराम भाकर करीब 30 साल पहले रोजगार की तलाश में गुजरात के बड़ौदा शहर गए। कुछ दिन क्षेत्र के सुथार व्यवसायी के यहां काम किया। बाद में उन्हें दूसरी जगह काम ढूंढ़ना पड़ा। धीरे-धीरे काम सीखने लगे और फिर खुद ही होटलों में इंटीरियर डिजाइनिंग का कार्य करने लगे। भाकर बंधुओं के भाई हनुमान भाकर ने बताया कि दोनों भाइयों ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए पहला बड़ा काम कोलकाता की आईटीसी होटल का लिया और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज देशभर की फाइव स्टार होटलों में मार्बल, रंग-रोगन, पॉलिस सहित इंटीरियर डिजाइनिंग का काम करते हैं। इन्होंने अपने यहां नागौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को रोजगार दिया है। भाकर बंधु व्यवसाय में सफल होने के बावजूद अपने क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और समय-समय पर समाजसेवा भी करते हैं। चाहे शिक्षण संस्थानों में कमरे बनाने हो या फिर सीसी टीवी कैमरे लगाने सहित अन्य सुविधाएं विकसित करनी हों। जरूरतमंद परिवारों को संकट की घड़ी में सहयोग देना हो या फिर निराश्रित गायों के लिए गोशाला में सहयोग देना हो, कभी पीछे नहीं रहते। चिकित्सा के क्षेत्र में कोरोना काल में जिला प्रशासन को 5 लाख का सहयोग भी दिया। झोरड़ा में लगने वाले वाले हरिराम बाबा मेले में पिछले 13 साल से जल सेवा कर रहे हैं।
ramvallabh bhati
ताऊसर के बाइसर बास निवासी रामवल्लभ भाटी
बाइसर के भाटी हैदराबाद में बन गए ‘मामासेठ’

‘मामासेठ’ के नाम से प्रसिद्ध ताऊसर के बाइसर बास निवासी रामवल्लभ भाटी ने समाजसेवा के क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। करीब 60 साल पहले 15 वर्ष की उम्र में हैदराबाद में अपनी बहन के यहां गए भाटी ने कुछ समय तक वहां पढ़ाई करने के बाद खुद की किराणा व ड्राई फ्रूट की दुकान खोली। अपने व्यवहार से परदेस में ग्राहकों का ऐसा मनमोहा कि भाटी कुछ ही सालों में ‘मामासेठ’ बन गए। समाजसेवा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के संबंध में भाटी ने पत्रिका को बताया कि जो कुछ है, वो भगवान का है और वो ही करते हैं। उनके यहां मुनीम के रूप में काम करने वाले 30 से अधिक लोग आज खुद ‘सेठ’ बन चुके हैं। मामा सेठ हैदराबाद में माली समाज के अध्यक्ष हैं और समाजसेवा के क्षेत्र में हैदराबाद के साथ नागौर में भी हर जगह सहयोग देते हैं। उन्होंने 30 साल पहले गांव में बालिकाओं के लिए खुद के खर्च पर अलग से विद्यालय भवन बनाकर दिया। यह तो एक बानगी है, माली समाज का सामूहिक विवाह समारोह हो या फिर धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम, भाटी हर प्रकार का सहयोग देते हैं। एक प्रकार से नागौर में मामा सेठ का नाम दानदाता का पर्याय बन चुका है। वे यहां होने वाली सामाजिक स्तर की हर गतिविधि में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय रहते हैं।

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