-संजीव देव, रावतसर , हनुमानगढ़ …………….. सरकारी प्रयास तेज हों मणिपुर में डबल इंजन की बीजेपी की सरकार होने के बाद भी हालात सामान्य नहीं होना चिंताजनक है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उदासीनता का नतीजा है। शांति के लिए सरकारी प्रयास तेज होने चाहिए।
-ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उदयपुरा, मप्र ………. आपसी तालमेल का अभाव मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जातीय समुदायों में एक दूसरे के प्रति नफरत ज्यादा हो गई है। केंद्र और राज्य सरकारों में भी आपसी तालमेल सही नहीं होने से वहां शांति नहीं हो पा रही।
निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़, अलवर ……… विश्वास बहाली जरूरी मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना, बाहरी हस्तक्षेप को रोकना और राजनीतिक समाधान ढूंढना आवश्यक है। साथ ही, राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना और सभी क्षेत्रों का समान विकास करना भी जरूरी है।
-राजूराम प्रजापत, नागौर ……………….. उचित संवाद की आवश्यकता हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैंं। विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास बहाली और संवाद की आवश्यकता है। शांति के प्रयासों में सफलता नहीं मिलने की एक वजह उग्रवादी संगठन भी हैं।
-गिरीश ठक्कर, राजनंदगांव …………….. सरकार का ढुलमुल रवैया मणिपुर में सरकार ने लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। कुकी और मैतेई समुदायों ने यह मान लिया है कि उन्हें अपनी रक्षा आप ही करनी होगी। इसीलिए वे आजकल हिंसा से निपटने के लिये हिंसा का सहारा लेने लगे हैं। दोनों समुदायों के बीच भरोसा नाम की चीज नहीं रह गयी है।
-नरेश कानूनगो, देवास, मप्र ……….. जातियों के बीच वैमनस्य मैतेई और कुकी जातियों के बीच वैमनस्य बना हुआ है। सियासी लाभ के लिए दोनों पक्षों के बीच दरार पैदा किए जाने के चलते मणिपुर में अब भी हालात सामान्य नहीं हो पा रहे हैं।
– वसंत बापट, भोपाल, मप्र