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बालोद

इस गांव में एक सप्ताह पहले मनाया जाता है दीपावली… आखिर क्यों …. जानने के लिए पढ़िए

दिवाली का पर्व एक नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं जिले की सीमा से एक किमी दूर धमतरी जिले के ग्राम सेमरा (सी) गांव में दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। गांव में यह परंपरा अभी की नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही है।

बालोदOct 23, 2024 / 11:52 pm

Chandra Kishor Deshmukh

दिवाली का पर्व एक नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं जिले की सीमा से एक किमी दूर धमतरी जिले के ग्राम सेमरा (सी) गांव में दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। गांव में यह परंपरा अभी की नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही है।
Deepawali दिवाली का पर्व एक नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं जिले की सीमा से एक किमी दूर धमतरी जिले के ग्राम सेमरा (सी) गांव में दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। गांव में यह परंपरा अभी की नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही है। वर्तमान में ग्रामीण भी इनसे अनजान हैं। गुरुवार को इस गांव के हर घर में लक्ष्मी पूजा होगी, जिसकी तैयारी गांव के सिदार देव मंदिर सहित घरों में पूरी कर ली है।
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सेमरा (सी) में एक सप्ताह पहले मनाया जाता है दीपावली… आखिर क्यों …. जानने के लिए देखिए

हर तीज-त्यौहार एक सप्ताह पहले मनाते हैं

इस गांव में दिवाली ही नहीं बल्कि लगभग हर तीज-त्यौहार एक सप्ताह पहले मनाया जाता है। इन दिनों सेमरा (सी) पूरी तरह से दिवाली के उत्सव में डूबा है।
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पहले दिवाली मनेगी, फिर धनतेरस

ग्रामीण राम कुमार शांडिल्य ने बताया कि यहां दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी। धनतेरस का पर्व पूरे देश के साथ 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
मान्यता है कि किसी किसान को स्वप्न दिखाकर सिदार देव ने कहा था कि प्रतिवर्ष दीपावली, होली, हरेली व पोला चार त्यौहार हिंदी पंचांग में तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाया जाए, जिससे इस गांव में उनका मान बना रहे। तब से यह परंपरा चल रही है।

जिले से भी सैकड़ों लोग जाते हैं दिवाली मनाने

इस गांव में दिवाली मनाने धमतरी जिले के ही नहीं बल्कि बालोद जिले से भी लोग वहां जाते हैं और पर्व का आनंद लेते हैं। बुधवार को इस गांव को पूरी तरह से झालरों से रौशन किया गया है।
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देशभर के साथ त्यौहार मनाने का किया प्रयास, हुआ अनिष्ठ

गांव के सेवकराम सिन्हा ने बताया कि यहां एक बार प्रयास किया कि एक साथ क्यों न त्यौहार मनाएं। इसके बाद देश में जिस दिन होली का पर्व था, उस दिन होली मनाया तो गांव के एक घर में अचानक आग लग गई। पूरे गांव के लोगों ने आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन बुझा नहीं पाए, तब गांव के लोग सिदार देव पहुंचे और पूजा की, तब आग बुझ गई। इस घटना के बाद से इदोबारा कभी प्रयास ही नहीं किया गया कि एक साथ तीज त्यौहार मनाएं। हर त्यौहार एक सप्ताह पहले मना लेते हैं।

एक सप्ताह पहले दिवाली मनाने की यह है मान्यता

ग्रामीण रवि सिन्हा, मदन लाल व अन्य लोगों के मुताबिक कई साल पहले सिदार नाम के बुजुर्ग रहने आए थे। उनकी चमत्कारिक शक्तियों एवं बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होने लगी। लोगों में उनके प्रति आस्था व श्रद्धा का विश्वास उमडऩे लगा। समय गुरजने के बाद सिदार देव के मंदिर की स्थापना की गई। मान्यता है कि किसी किसान को स्वप्न दिखाकर सिदार देव ने कहा था कि प्रतिवर्ष दीपावली, होली, हरेली व पोला चार त्यौहार हिंदी पंचांग में तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाया जाए, जिससे इस गांव में उनका मान बना रहे। तब से यह परंपरा चल रही है।
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