निजी स्कूल सरकारी नियम-कानूनों का ध्यान नहीं रखते। वे मनमाने ढंग से चलते हुए फीस वसूली में भी मनमानी करते हंै। सरकारी लापरवाही व अनदेखी साथ ही संसाधनों का अभाव होने से सरकारी स्कूल बदहाल हैं और निजी स्कूल पनप रहे हैं।
- ललित प्रसाद शर्मा, खण्डेला, सीकर
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केंद्रीय विद्यालयों को बनाएं आदर्श
निजी स्कूलों की मनमानी इसलिए नहीं रुक पा रही क्योंकि अभिभावक इस प्रतिस्पर्धा के युग में अपने बच्चों को सरकारी स्कूल मे नहीं भेजना चाहते, यदि सरकारी स्कूलों का स्तर सुधर जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होंगी। अत: सरकार को इस क्षेत्र मे गंभीरता से कार्य करना चाहिए। केंद्रीय विद्यालयों मे पढ़ाई का स्तर भी अच्छा है एवं फीस भी हर वर्ग के हिसाब से वहन करने योग्य है। केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर राज्यों के सरकारी स्कूल चलाए जाएं।
-शोभा जोशी, भोपाल , मप्र