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आपकी बात, निजी स्कूलों की मनमानी क्यों नहीं रुक पा रही?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

जयपुरNov 10, 2024 / 04:14 pm

Gyan Chand Patni

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बदहाल सरकारी स्कूल

निजी स्कूलों की मनमानी न रुक पाने का सबसे पहला कारण है सरकारी स्कूलों की अव्यवस्था। सरकारी स्कूलों की अराजकता से मजबूर होकर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती कराते हैं। अभिभावकों का एकजुट होकर विरोध न करने की प्रवृत्ति एवं अन्याय के प्रति उदासीनता के कारण भी निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ रही है।
-सुशील जाखड़, श्री डूंगरगढ़
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राजनीतिक प्रभाव का असर
निजी स्कूल ज्यादातर सत्तारूढ़ दल के नेताओं या उनके रिश्तेदारों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। वे अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल मनमानी फीस वसूलने एवं नए-नए नियम लागू करने के लिए करते हैं। सरकारी तंत्र उन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाता है। यही कारण है कि उनके अनुचित व्यवहार पर रोक नहीं लग पाती है।
-ललित महालकरी, इंदौर
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मान लिया सफलता का पैमाना
लोगों ने अंग्रेजी स्कूलों को ही सफलता का पैमाना मान लिया है। इसलिए निजी स्कूलों को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों के घटते स्तर के कारण निजी स्कूलों में बच्चों की भीड़ बढ़ी है।
-अदिति मोहन शर्मा, जयपुर
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कमजोर निगरानी तंत्र
निजी स्कूलों की मनमानी नहीं रुकने का मुख्य कारण शिक्षा क्षेत्र में नियमन और निगरानी की कमी है। शिक्षा का व्यावसायीकरण बढऩे से निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाते हैं और अनावश्यक शुल्क वसूलते हैं। सरकारी नियमों के बावजूद, इन पर सख्ती से अमल नहीं होता। अभिभावकों के पास सीमित विकल्प हैं। कानूनी जागरूकता की कमी भी एक कारण है। सरकार को सख्त नियम लागू कर, शिकायत निवारण प्रणाली सुदृढ़ करनी चाहिए।
-संजय माकोड़े, बैतूल
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सरकारी स्कूलों में अव्यवस्था निजी स्कूलों की मनमानी का एक कारण यह भी है कि सरकारी स्कूलों की व्यवस्था ठीक करने में सरकार नाकाम रही है। यदि सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक हो जाए तो निजी स्कूलों का आकर्षण कम हो जाएगा।
-राजेश लखानी, जोधपुर
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सरकार की अनदेखी
निजी स्कूल सरकारी नियम-कानूनों का ध्यान नहीं रखते। वे मनमाने ढंग से चलते हुए फीस वसूली में भी मनमानी करते हंै। सरकारी लापरवाही व अनदेखी साथ ही संसाधनों का अभाव होने से सरकारी स्कूल बदहाल हैं और निजी स्कूल पनप रहे हैं।
  • ललित प्रसाद शर्मा, खण्डेला, सीकर
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    केंद्रीय विद्यालयों को बनाएं आदर्श
    निजी स्कूलों की मनमानी इसलिए नहीं रुक पा रही क्योंकि अभिभावक इस प्रतिस्पर्धा के युग में अपने बच्चों को सरकारी स्कूल मे नहीं भेजना चाहते, यदि सरकारी स्कूलों का स्तर सुधर जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होंगी। अत: सरकार को इस क्षेत्र मे गंभीरता से कार्य करना चाहिए। केंद्रीय विद्यालयों मे पढ़ाई का स्तर भी अच्छा है एवं फीस भी हर वर्ग के हिसाब से वहन करने योग्य है। केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर राज्यों के सरकारी स्कूल चलाए जाएं।
    -शोभा जोशी, भोपाल , मप्र

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