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आपकी बात: राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम क्यों नहीं हो रहा?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Feb 15, 2022 / 06:44 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात: राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम क्यों नहीं हो रहा?

आपकी बात: राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम क्यों नहीं हो रहा?

राजनीतिक दलों का रवैया
राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम नहीं होने का कारण यह है कि राजनीतिक दल साफ छवि वाले नेताओं को टिकट देने में प्राथमिकता नहीं देते। मतदाता भय और लालच में बाहुबली या अपराधी प्रवृत्ति के उम्मीदवार को वोट देते हैं। जब तक सोच में बदलाव नहीं होगा तब तक राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा बना रहेगा ।
– भगवती प्रसाद गेहलोत, मंदसौर मप्र
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बाहुबलियों का रहता है दबदबा
राजनेता येन-केन प्रकारेण सत्ता हासिल करना चाहते हैं। सत्ता हासिल करने के लिए वे हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। बाहुबलियों का अपने क्षेत्र में दबदबा रहता है और लोग उनसे भयभीत भी रहते हैं। इसलिए वे वोट हासिल करने में सफल हो जातें हैं। शरीफ इंसान तो राजनीति में जाना ही नहीं चाहता है। यदि भूले-भटके चला भी जाता है, तो वह सफल नहीं हो पाता है।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरु
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कानून-व्यवस्था में सुधार जरूर
राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम इसलिए नहीं हो रहा है, क्योंकि कानून व्यवस्था पंगु बन रही है। इसलिए कानून-व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
-सुरेंद्र भाटी, सुजानगढ़, चुरू
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ठोस कदम जरूरी
राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कम करने के लिए कोई राजनीतिक दल पहल करने को तैयार नहीं है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए घातक है। राजनीति के स्वरूप को बिगाडऩे और स्वार्थ की राजनीति को प्राथमिकता देने में सभी राजनीतिक दल आगे हैं। समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो लोकतंत्र ही खतरे में होगा।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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राजनीति के कारण बाहुबलियों को मिलती है सुरक्षा
राजनीति एक ऐसा मंच है, जहां बाहुबलियों को सुरक्षा प्राप्त होती है। पुलिस जिनको पकडऩे के लिए पीछा कर रही होती है, जब वे ही जनप्रतिनिधि बन जाते हैं तो पुलिस उनकी सुरक्षा में तैनात रहती है। बाहुबलियों के पास पैसा भी होता है और नहीं भी हो तो वे इसका जुगाड़ कर लेते हैं। यही कारण है कि राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा दिनों दिन बढ़ता चला जा रहा है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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नेता खुद बाहुबली
ज्यादातर नेता अपनी राजनीति को बनाए रखने के लिए खुद बाहुबली बनते जा रहे हैं। ऐसे में राजनीति को बाहुबलियों के प्रभाव से बाहर रखना लगभग असंभव है। दूसरा कारण जनता है, जो बाहुबली नेताओं की वास्तविकता जानते हुए भी उन्हें मौका देती है। अगर जनता चाहे तो ऐसे नेताओं का बहिष्कार कर देश की राजनीति को बाहुबली नेताओं से मुक्त करवा सकती है।
नासिर शाह, बारां
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जनबल और धनबल
देश के बाहुबलियों के पास जनबल और धनबल दोनों भरपूर हैं, जिनका इस्तेमाल वे चुनाव के समय करते हैं। वे शरीफ उम्मीदवारों को भय दिखाकर चुनाव लडऩे से भी रोक देते हैं।
-मुकेश भटनागर, भिलाई
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नेताओं की मेहरबानी
राजनीति में दागी नेता ज्यादा हैं। उन्होंने बाहुबलियों को अपने संरक्षण में रख रखा है। जब भी वे कोई अपराध करते हैं, तो वे नेताओं की मेहरबानी से बच जाते हैं। नेता अपने स्वार्थ के लिए बाहुबलियों का इस्तेमाल करते हैं।
-लता अग्रवाल चित्तौडग़ढ़
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बदल गए हालात
एक समय देश के नेता आम जनता के आदर्श होते थे, परंतु आजकल हालत बदल गए हैं। आजकल धनबल, बाहुबल, जातिवाद के दम पर अपराधियों को राजनीति में जगह मिल रही है। इसी कारण आपराधिक प्रवृति के लोग भी जन प्रतिनिधि बन रहे हैं। ऐसे लोग सत्ता से भी जुड़ जाते हैं।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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इसलिए रहता है राजनीति की तरफ झुकाव
राजनीति के माध्यम से शोहरत और दौलत प्राप्त हो जाती है। साथ ही पुलिस से भी बचाव हो जाता है। इसलिए बाहुबली राजनीति से जुडऩा चाहते हैं।
-अनिता अग्रवाल जयपुर

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