स्कूलों के वाहन कैसे हों, इसको लेकर भी गाइडलाइन बनी हुई है। बाल वाहिनी के चालक के आचरण के संबंध में भी स्पष्ट निर्देश हैं, लेकिन प्रदेश में कुछ स्कूलों को छोड़ दें तो कहीं भी इसकी सही ढंग से पालना होते नहीं दिखती।
सड़क पर दौड़ती अधिकांश बाल वाहिनी में ड्राइवर का नाम, मोबाइल नम्बर, पता, लाइसेंस, वाहन मालिक का नाम व नम्बर, चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर, यातायात पुलिस नम्बर, परिवहन विभाग हेल्पलाइन नम्बर तथा वाहन का पंजीयन आदि लिखा नहीं दिखता। खानापूर्ति के लिए सिर्फ एकाध नंबर लिखे होते हैं। हालत यह है कि प्रदेशभर में बाल वाहिनी के नाम पर अनफिट और कंडम वाहन दौड़ते दिख जाते हैं। इनकी गति भी निर्धारित मानक से काफी अधिक होती है।
ऐसे में जरूरी है कि प्रदेश सरकार बच्चों की सुरक्षा के प्रति स्कूलों पर सख्ती बरते। जरूरी नहीं कि किसी भी कार्य के लिए किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जाए। प्रशासन, परिवहन और यातायात पुलिस को मामले में गंभीरता बरतते हुए लापरवाह चालकों के साथ ही संबंधित स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अकसर देखने में आता है कि कार्रवाई के नाम पर वाहनों का चालान कर दिया जाता है, जबकि लापरवाही के मामलों में चालक के साथ ही स्कूल प्रबंधन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर कुछ ऐसे उदाहरण आते हैं जहां बच्चों की सुरक्षा के मामले में लापरवाही पर स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई हुई तो निश्चित तौर पर इसका व्यापक असर होगा। प्रशासन के साथ ही परिवहन और पुलिस महकमे को भी स्कूल वाहनों की जांच का अभियान नियमित और व्यापक स्तर पर चलाना चाहिए।
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