किसी वस्तु या इंसान को गायब करने की दिशा में प्रयोग लगातार होते रहे हैं। दावा है कि जर्मन वैज्ञानिक टोल्गा इरगिन भी व्यक्ति को अदृश्य कर देने वाला चोगा या कोट बन चुके हैं। यह लबादा पॉलीमर क्रिस्टल की छड़ों से बनाया गया। इस आवरण की विशेषता यह है कि इसे ओढ़ लेने से यह प्रकाश की ऐसी किरणों को परावर्तित कर देता है, जो मनुष्य को देखने में सक्षम होती हैं। इस आविष्कार को अंजाम देने में प्रकाश की चाल और उस दिशा को बदलने का सिद्धांत प्रयोग में लाया गया, जिसमें प्रकाश पदार्थ से होकर गुजरता है। विज्ञान की भाषा में इसका अर्थ पदार्थ के अपवर्तनांक को बदल देना है। दरअसल, फोटोनिक क्रिस्टलों के तत्व प्रकाश की उन किरणों से नहीं देखे जा सकते हैं, जो हमें चीजों को देखने में मदद करते हैं। इसीलिए बहुत छोटी-छोटी छड़ों से पॉलीमर क्रिस्टल बनाए गए। डॉ. इरगिन कहते हैं कि छड़ की मोटाई बदलकर हवा और पॉलीमर के अनुपात को बदला जा सकता है। चूंकि हवा का अपवर्तनांक एक है और पॉलिमर का 1.52 है, गोया दोनों के बीच जरूरत के अनुसार अपवर्तनांक प्राप्त किया जा सकता है।
अमरीका के कानेन विश्व-विद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी इंसान को गायब करने की तरकीब खोजने का दावा किया है। दावा किया गया है कि सेकंड के एक हिस्से के लिए प्रकाश की किरणों को मोड़ा जा सकता है। यह स्थिति किसी भी वस्तु को अदृश्य कर देती है। इस स्थिति में प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर वापस लौटने की बजाय, उसके किनारे से होकर गुजर जाए, तो वह वस्तु लगभग गायब हो जाती है। गौरतलब है कि वैदिक, रामायण और महाभारत काल मेें अदृश्य होने की शक्तियों का उल्लेख मिलता है।