scriptPatrika Opinion : लीडरशिप विज्ञान के साथ कला भी | Patrika Opinion Leadership is an art along with science | Patrika News
ओपिनियन

Patrika Opinion : लीडरशिप विज्ञान के साथ कला भी

इसे सीख सकतें हैं, परिष्कृत कर सकते हैं और लागू भी कर सकते हैं

जयपुरNov 04, 2024 / 01:36 pm

विकास माथुर

बिहेवियरल थ्योरी विभिन्न कारकों पर आधारित होती है। इसमें न सिर्फ संबंधों पर ध्यान केन्द्रित करना आवश्यक होता है अपितु सही तरह से पूर्ण हो और लक्ष्यों की प्राप्ति हो, यह सुनिश्चित करना भी होता है। विदेशी वातावरण में नेतृत्व करने के लिए विशेष नेतृत्व व्यवहार की आवश्यकता होती है, खासकर जब सांस्कृतिक संवेदनशीलता की बात आती है। जब मैं एक विदेशी विश्वविद्यालय का नेतृत्व कर रहा था, तब मैंने अधिक संबंध-उन्मुख नेतृत्व अपनाया। वहीं, आइआइएम इंदौर में निदेशक की भूमिका के लिए मुझे व्यवहार सिद्धांत के दोनों आयामों को समान रूप से लागू करने की आवश्यकता रही।
इन अनुभवों से व्यवहार सिद्धांत के बारे में कई महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि सामने आती हैं। व्यवहार सिद्धांत का दावा है कि नेतृत्व सिखाया जा सकता है। नेतृत्व जरूरी नहीं कि एक जन्मजात विशेषता हो, बल्कि एक कौशल है जिसे विकसित और परिष्कृत किया जा सकता है। प्रभावी नेतृत्व व्यवहार – चाहे वह कार्य-उन्मुख हो या संबंध-उन्मुख – को संदर्भ के अनुरूप ढाला जा सकता है। टाटा स्टील, विदेशी शिक्षण संस्थान, पर्वतारोहण और आइआइएम इंदौर में नेतृत्व के अनुभवों ने मुझे दिखाया है कि प्रभावी लीडरों को अनुकूलनशील होना चाहिए। स्थिति के आधार पर, एक लीडर को ज्ञात होना चाहिए कि कब कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना है और कब रिश्तों को प्राथमिकता देनी है। प्रत्येक नेतृत्व की भूमिका में, यह केवल वह महत्त्वपूर्ण नहीं है जो आप सोचते हैं या महसूस करते हैं बल्कि यह भी मायने रखता है कि आप क्या करते हैं। व्यवहार सिद्धांत का अवलोकनीय क्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करना प्रभावी नेतृत्व को आगे बढ़ाने में स्थिरता, संचार और निर्णय लेने की शक्ति में मेरे विश्वास के साथ संरेखित होता है। कॉर्पोरेट जगत हो, शिक्षा जगत हो या पर्वतारोहण अभियानों का नेतृत्व करना हो, नेतृत्व के व्यावहारिक आयाम-कार्य और संबंध-सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक हैं। वे पर्वतारोहण दल, परियोजना प्रबंधन दल या शैक्षणिक संस्थान पर समान रूप से लागू होते हैं।
नेतृत्व का व्यावहारिक सिद्धांत नेतृत्व कौशल को समझने और विकसित करने के लिए एक शक्तिशाली ढांचा प्रदान करता है। टाटा स्टील में परियोजनाओं के प्रबंधन से लेकर, एक विदेशी विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने, पर्वतारोहण दलों का मार्गदर्शन करने से लेकर आइआइएम इंदौर में भविष्य के लीडरों को आकार देने तक की यात्रा में इस सिद्धांत में वर्णित कार्य-उन्मुख और संबंध-उन्मुख व्यवहारों को संतुलित करना शामिल रहा है। यह संतुलन ही नेतृत्व को एक विज्ञान और कला दोनों बनाता है। इसे सीखा जा सकता है, परिष्कृत किया जा सकता है और लागू किया जा सकता है।
— प्रो. हिमांशु राय 

Hindi News / Prime / Opinion / Patrika Opinion : लीडरशिप विज्ञान के साथ कला भी

ट्रेंडिंग वीडियो