scriptसही निगरानी व युद्धनीति के साथ बेहतर हुई तैयारी | Patrika News
ओपिनियन

सही निगरानी व युद्धनीति के साथ बेहतर हुई तैयारी

सही निगरानी व युद्धनीति के साथ बेहतर हुई तैयारी
करगिल विजय के 25 साल: बर्फीली चोटियों व पहाड़ों पर निर्णायक जीत के लिए ज्यादा मजबूत हुई है भारतीय सेना

जयपुरJul 26, 2024 / 10:12 pm

Nitin Kumar

कर्नल राजीव कुमार

18 ग्रेनेडियर्स से सेवानिवृत्त

…………………………………….

करगिल विजय दिवस हर साल हमें 1999 के करगिल संघर्ष में भारत की सफल व निर्णायक जीत की याद दिलाता है और अवसर देता है कि हम भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को सराहने के साथ शहीदों के बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करें। करगिल युद्ध भारत-पाक नियंत्रण रेखा पर करगिल और द्रास क्षेत्र के श्रीनगर लेह नेशनल हाईवे से सटे ऊंचे और दुर्गम पहाड़ों पर लड़ा गया था। भारतीय सेना ने इस युद्ध में २६ जुलाई को अदम्य साहस और पराक्रम दिखाते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों को अपनी सीमा से बाहर खदेडऩे या फिर मार गिराने में कामयाबी हासिल की थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच में नियंत्रण रेखा के सम्मान का जो एक समझौता था उसके उल्लंघन का ही नतीजा था करगिल युद्ध, जबकि कुछ महीने पहले ही भारतीय प्रधानमंत्री ने लाहौर की बस यात्रा की थी और पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की संधि पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हस्ताक्षर किए थे। एक तरफ यह अंतरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन था तो दूसरी तरफ पड़ोसी देश के द्वारा किया गया विश्वासघात था। तब से आज तक दोनों देश आपसी रिश्ते बेहतर करने में असफल रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान अपनी कलुषित मानसिकता और द्वेषपूर्ण भावना को छोड़ नहीं पा रहा है। पाकिस्तान आज तक इसका खमियाजा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक तौर पर उठा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में की गई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक भी इसी का परिणाम हैं। आज पाकिस्तान के आर्थिक हालात कितने बुरे हैं, पूरी दुनिया इससे वाकिफ है।
करगिल युद्ध के बारे में देश के जन-जन को पता है क्योंकि युद्ध का विवरण टीवी चैनलों के माध्यम से घर-घर तक पहुंच रहा था। इस युद्ध में 527 सैनिकों ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया और 1363 सैनिक घायल हुए थे। करगिल युद्ध के समय उस इलाके में तो यूनिट व सैनिक पहले से नियुक्त थे ही, कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की गतिविधियां रोकने के लिए नियुक्त यूनिट व सैनिक भी करगिल युद्ध के लिए भेजे गए थे। उस समय उनके पास उसी के अनुरूप हथियार और गोला बारूद थे। इन यूनिटों ने इन्हीं उपलब्ध हथियारों व गोला बारूद के साथ बिना उपयुक्त विंटर क्लोदिंग और इक्विपमेंट्स के करगिल की पहाडिय़ों पर घुसपैठियों को मार गिराने और वहां से खदेडऩे के लिए हमला जारी रखा था। जब बाद में घुसपैठियों की तादाद और उनकी तैयारियों का सही जायजा उच्च कमांडरों को हासिल हुआ तो कुछ विराम लेकर सारी तैयारियां की गईं, खामियों को दूर किया गया और साथ ही नए ट्रूप व यूनिटों को लाया गया। इसके बाद नई तैयारी और नई प्लानिंग के साथ कोऑर्डिनेटेड हमला किया गया था। इस दौरान आर्टिलरी, विशेष तौर पर बोफोर्स गन, की इस लड़ाई को निर्णायक क्षणों में पहुंचाने में अहम भूमिका रही।
करगिल युद्ध के दौरान घुसपैठियों और दुश्मन की सप्लाई लाइन को बाधित करने और बर्बाद करने में वायुसेना की भी अहम भूमिका रही थी। करगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने वाली इन्फैंट्री यूनिटों में 18 ग्रेनेडियर्स, 13 जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स, 17 जाट रेजिमेंट, 8 सिख रेजिमेंट, 2 राजपूताना राइफल्स, 5 पैरा रेजिमेंट व कई अन्य इंफेंट्री, आर्टिलरी यूनिट और रेजिमेंट्स शामिल थीं। करगिल युद्ध के दौरान इन सभी यूनिटों के बहादुर व शहीद सैनिकों को विभिन्न गैलेंटरी मेडल्स से सम्मानित किया गया था। आज तो हर इन्फैंट्री बटालियन आधुनिकतम ऑटोमैटिक पर्सनल हथियार व संचार इक्विपमेंट्स से लैस है। आर्टिलरी के हथियारों में भी नए और ज्यादा रफ्तार से लम्बी दूरी तक गोला दागने वाली तोपों व गन लोकेटिंग राडार को शामिल किया गया है। आज भारतीय सेना ऊंची बर्फीली चोटियों और पहाड़ों के सभी मोर्चों पर निर्णायक जीत के लिए पहले से ज्यादा मजबूती के साथ तैनात और तैयार है।
करगिल युद्ध के बाद गठित करगिल रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर सेना के अंदर काफी बदलाव किए गए हैं और इंफेंट्री व आर्टिलरी यूनिट्स को और बेहतर तरीके के हथियारों से लैस किया गया है। नए प्रकार की पर्सनल वैपन्स और तोपों को भारतीय सेना में शामिल किया गया है। साथ ही फॉर्मेशंस के रोल और टास्क भी नए तरीके से निर्धारित किए गए। जिस क्षेत्र में पहले निगरानी के लिए कम ट्रूप्स तैनात थे, वहां और ज्यादा यूनिटों को लगाया गया है और नए फॉर्मेशंस का गठन किया गया है ताकि करगिल जैसे इलाकों में सही निगरानी, युद्धनीति और तैयारी रखी जा सके। सेना मुख्यालय में भी नई संरचना की गई है और उसी के तहत सीडीएस और इंटीग्रेटेड सर्विस हेडक्वार्टर इत्यादि का गठन किया गया है।
खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए भी एक नई संरचना की गई है और भविष्य में थिएटर कमांड को लेकर भी काम चल रहा है ताकि भारतीय सेना के तीनों अंग – थलसेना, वायुसेना और नौसेना एक साथ मिलकर भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें और बाहर से आने वाले किसी भी खतरे का एकजुट होकर सामना कर सकें।

Hindi News / Prime / Opinion / सही निगरानी व युद्धनीति के साथ बेहतर हुई तैयारी

ट्रेंडिंग वीडियो