एक समय था जब भीलवाड़ा की गणना राजस्थान के शांत जिलों में होती थी। फिर जैसे किसी की नजर लग गई। अब कौन-सा अपराध है, जो इस जिले में नहीं हो रहा। हत्या,, बलात्कार से लेकर जमीनों और खानों पर कब्जे तक यहां आए दिन की बात हो गई। शहर की जनता और व्यापारी त्रस्त हैं। यह वही जिला है जहां मंत्री रामलाल जाट को एक महिला का शव लेकर रातभर घूमने के मामले में मंत्रिपद से हाथ धोना पड़ा था। वे आज भी मंत्री हैं।
दर्ज होने वाली एफआईआर की संख्या के मामले में आज भीलवाड़ा प्रदेश में छठे स्थान पर आ चुका है। पिछले छह साल में इनकी संख्या 60 हजार पार कर चुकी है। इनके अलावा हजारों मामले ऐसे हैं, जिनमें रसूखदारों के प्रभाव के कारण प्राथमिकी दर्ज ही नहीं होती। होती है तो कोई कार्रवाई नहीं होती। भीलवाड़ा के नागरिक और व्यापारी बताते हैं कि आज भीलवाड़ा के हर सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार गहराई से बैठा हुआ है। कारण यह कि ज्यादातर विभागों में अधिकारी रसूखदार जनप्रतिनिधियों की पसंद के नियुक्त होते हैं।
भीलवाड़ा जिले में बहुत सी खानें ऐसी हैं, जहां आए दिन वहां ‘मासिक बंदी’ के लिए सरकारी कारिंदे आ धमकते हैं। या फिर रसूखदारों के लोग खानों पर कब्जा कर लेते हैं। कई व्यापारी परेशान होकर अपनी खाने कब्जा करने वालों को सस्ते में बेच जाते हैं। राजनेताओं की गोदी में खेल रहे बजरी माफिया के हौसले बुलंदियों पर हैं। तीन साल पहले एक एसडीएम के चालक को कुचल दिया गया था। एक प्रशिक्षु आईपीएस की भी हत्या की कोशिश की गई।
पिछले साल ही आदर्श तापड़िया की सरेराह गोली मारकर हत्या कर दी गई। सबसे ज्यादा चिंतनीय स्थिति यह है कि कब्जे, अतिक्रमण जैसे अपराध राजनीतिक छात्रछाया में हो रहे हैं और ऐसे मामलों में राजनेताओं के दबाव में कार्रवाई होना तो दूर, मामले भी दर्ज नहीं किए जाते।
मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है, इसलिए उन्हें अपराध की दृष्टि से उभर रहे जिलों पर विशेष नजर रखनी चाहिए और वहां संवेदनशील पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति करनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो जाए कि चंद लोगों का स्वार्थ उनकी सरकार के लिए भारी पड़ जाए।
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