Opinion : आपदा प्रबंधन से भी जुड़े हैं मौसम के सटीक पूर्वानुमान
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में भी पिछले सालों में काफी बदलाव आए हैं। ऐसे दौर में मौसम के पूर्वानुमान सटीक हों तो उनका महत्त्व और बढ़ जाता है। मौसम का सटीक पूर्वानुमान आपदा प्रबंधन में भी काफी मददगार साबित होता आया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने डेढ़ सदी की अपनी […]
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के पैटर्न में भी पिछले सालों में काफी बदलाव आए हैं। ऐसे दौर में मौसम के पूर्वानुमान सटीक हों तो उनका महत्त्व और बढ़ जाता है। मौसम का सटीक पूर्वानुमान आपदा प्रबंधन में भी काफी मददगार साबित होता आया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने डेढ़ सदी की अपनी यात्रा पूरी कर ली है। तकनीक से कदमताल करते हुए चाहे मानसून की भविष्यवाणी हो या फिर चक्र वात की चेतावनी, कृषि महकमे की पैदावार को लेकर तैयारी हो या फिर आपदा प्रबंधन में चुस्ती बनाए रखने की जरूरत, हर मौके पर मौसम संबंधी जानकारी मददगार साबित हुई है। पिछले एक दशक में लोगों की रुचि मौसम में बढ़ी है तो आइएमडी की जिम्मेदारी भी बढ़ी हैं। वर्ष 2012 में राष्ट्रीय मानसून मिशन की शुरुआत हुई। उच्च क्षमता वाले कम्प्यूटर और डॉप्लर जैसे अत्याधुनिक रडार मिले तो सकारात्मक नतीजे भी सामने आए। वर्ष 2014 की तुलना में 2023 में मौसम पूर्वानुमानों में करीब 50 फीसदी का सुधार हुआ है। अब नए मिशन के तहत विजन-2047 में आइएमडी की अपेक्षित प्रगति की रूपरेखा निर्धारित की गई है।
मौसम विभाग का लक्ष्य ब्लॉक और पंचायत स्तर पर मौसम की घटनाओं का 3 दिन पहले 100 फीसदी, पांच दिन पहले 90 फीसदी, 7 दिन पहले 80 फीसदी और 10 दिन पहले 70 फीसदी सटीकता से अनुमान लगाना है। इसीलिए आइएमडी 2047 तक हर गांव तक मौसम के 100 फीसदी सटीक पूर्वानुमान की योजना बना रहा है। इसके लिए उपग्रहों, रडार और रिमोट सेंसिंग तकनीक का दायरा बढ़ाया जाएगा। हमारे देश में मौसम का असर सीधा अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। मौसम फसलों का उत्पादन, भंडारण, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और कृषि से जुड़े उद्योगों पर प्रभाव डालता है। ऐसे में मौसम के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सटीक पूर्वानुमान एक उपाय है। लेकिन एक तथ्य यह भी है कि क्षेत्रीय और कम समय के लिए लगाए गए अनुमान कम सटीक रहते हैं। इसके साथ ही आने वाले दशकों में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान भी नहीं लगा पाते हैं। अब ऐसी घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है और यह आइएमडी के सामने नई चुनौती है।
दुनिया में भूकंप भी बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है, लेकिन भूकंप पूर्वानुमान के लिए कोई तकनीक विकसित नहीं की जा सकी है। उम्मीद है कि तकनीक और संसाधन जुटाते हुए हमारे मौसम वैज्ञानिक मिशन मौसम में चुनौतियों के बीच सटीक भविष्यवाणियों में सफलता की लौ जलाए रखेगा।
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