Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: मन है तो कामना है। मन और कामना दो जान पड़ते हैं। मन को पैदा करने के लिए कामना ही ‘मन का बीज’ कहलाता है। बीज सोमरूप होता है, अत: उसकी स्त्रैण संज्ञा है। ब्रह्म अग्नि तत्त्व है, पुरुष है। उसके मन में कामना पैदा हुई—”एकोऽहं बहुस्याम्”। कामना ही क्षुधा है।‘ शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- सृष्टि का आधार अत्रिप्राण
जयपुर•Jun 17, 2024 / 04:03 pm•
Gulab Kothari
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