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पवित्रता भंग

पूत के पांव पालने में नजर आ जाते हैं। ऐसे ही एक पूत हैं: राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत। मंत्री बने अभी सात महीने भी नहीं हुए- उन्होंने राजस्थान के सबसे ऊंचे सदन विधानसभा की पवित्रता को भंग कर दिया।

जयपुरAug 01, 2024 / 11:42 am

भुवनेश जैन

भुवनेश जैन

पूत के पांव पालने में नजर आ जाते हैं। ऐसे ही एक पूत हैं: राजस्थान के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत। मंत्री बने अभी सात महीने भी नहीं हुए- उन्होंने राजस्थान के सबसे ऊंचे सदन विधानसभा की पवित्रता को भंग कर दिया। उन्होंने जयपुर के रामगढ़ बांध को लेकर ऐसा सफेद झूठ बोला कि बड़े-बड़े झूठे भी शरमा जाएं। असंख्य कच्चे-पक्के अतिक्रमणों के शिकार रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र के लिए उन्हें यह बोलने में जरा भी लज्जा नहीं आई कि यहां कोई अतिक्रमण है ही नहीं। अभी इतना झूठ बोल रहे हैं आगे क्या करेंगे।
जयपुर के जन-जन की भावनाओं से जुड़े रामगढ़ बांध का राजस्थान के राजनेता, अफसर और माफिया मिलकर गला घोंट चुके हैं। किसी समय यहां एशियाड की नौकायन प्रतियोगिता हुई थी। शहर की पेयजल सप्लाई का यह एकमात्र स्रोत था। जब बरसात में चादर चलती थी तो पूरा शहर इस मनभावन नजारे को देखने उमड़ पड़ता था। लेकिन भ्रष्ट तिकड़ी की इस पर नजर पड़ी तो चील-कौवों की तरह उसे मृत्यु के द्वार पर पहुंचाने के लिए झपट पड़े। पूरे जलग्रहण क्षेत्र में रिसोर्ट, फार्म हाउस, एनीकट बना दिए गए। अवैध खनन करने वाले माफिया ने पाप की कमाई निर्बाध रूप से करने के लिए पानी का रास्ता रोक दिया। जल संसाधन विभाग के अफसरों ने पता नहीं किस लालच में उन्हें अभयदान दे दिया। राजस्व, वन, खनन, जेडीए, जिला कलक्टर, पीडब्ल्यूडी, कृषि आदि सब विभागों के अफसरों ने आंखें मूंद लीं।
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अच्छी शुरुआत

सिर्फ ‘पत्रिका’ आखिरी सांस गिन रहे इस बांध को बचाने के अभियान में जुटा रहा। लालची अफसरों ने गलत रिपोर्टें दे-देकर उच्च न्यायालय तक की आंखों में धूल झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछले दिनों जब उच्च न्यायालय की मॉनिटरिंग कमेटी बांध के जलग्रहण क्षेत्र का दौरा करने गई तो उसकी आंखें फटी रह गईं। यह भी साफ हो गया कि मंत्री सफेद झूठ बोल रहे हैं। अतिक्रमण ज्यों के त्यों हैं। नाममात्र की कार्रवाई कर दी। मंत्री से भी ज्यादा जल संसाधन विभाग के वे उच्चाधिकारी दोषी हैं जिन्होंने अपने स्वार्थों की खातिर मंत्री को गलत जानकारी दी। विधानसभा में भी ज्यादातर जनप्रतिनिधि जानते होंगे कि मंत्री गलत बोल रहे हैं। फिर भी उन्हें नहीं टोका। कम से कम आसन को तो चुप नहीं रहना चाहिए था।
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जहरीले कुकुरमुत्ते

सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की सब रामगढ़ बांध की मौत का तमाशा देखने में लगे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार ने तो जलग्रहण क्षेत्र में शामिल अचरोल के गोमती नाले का बहाव रोकने वाली निम्स यूनीवर्सिटी की करतूत को वैध कर दिया। आश्चर्य होता है कि तीस-तीस फीट ऊंचे एनीकट बन गए, पर किसी को नहीं दिखते। फार्म हाउस और रिसोर्टों की तो गिनती ही नहीं है। पर नोटों की चमक से जिम्मेदार अफसरों की आंखें बंद हो गईं। राजस्व मंडल में मामले उलझा दिए गए। अब मंत्री भी यदि इन्हीं अफसरों की अंगुलियों पर नाचने लगे तो उन्हें एक मिनट भी पद पर बने रहने का हक नहीं है। तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिए। दोषी अफसरों पर तो कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए।
यदि नई सरकार में जनता के प्रति जवाबदेही का जरा भी अहसास है तो उसकी छवि पर कलंक लगाने वालों पर कठोर कार्रवाई तो करनी ही चाहिए, मरते बांध को सांसें लौटाने में पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए।

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