PATRIKA OPINION सोशल मीडिया: सख्त निगरानी तंत्र जरूरी
दरअसल, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मसला ऐसा है जिसकी अब अनदेखी कतई नहीं की जानी चाहिए। बड़ी चिंता यह भी है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी सिर्फ कमाई की तरफ ही ध्यान देने लगे हैं। मेटा कंपनी विज्ञापनों में उसकी नीतियों के उल्लंघन से इंकार करने की बात कह रही है लेकिन जो जानकारी सामने आई है उसे देखते हुए उसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कंटेंट की निगरानी का पुख्ता बंदोबस्त करना ही होगा।
सोशल मीडिया में सही और गलत सूचना में अंतर करना कई बार मुश्किल हो जाता है। अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में गलत जानकारी और लोगों के बीच नफरत का वातावरण खड़ा करने वाली सामग्री भी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कब प्रकट हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। नफरत और उन्माद को बढ़ावा देने वाली यह सामग्री तो वह है जो समुचित निगरानी के अभाव में इन मंचों के जरिए प्रसारित की जाने लगी है। लेकिन बड़ी चिंता इस बात की भी है कि फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर नफरत फैलाने वाले विज्ञापन भी नफरती माहौल की आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।
इस साल की शुरुआत में ही एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म संचालित करने वाली कंपनी मेटा का साल की पहली तिमाही में ही मुनाफा दो गुना हो गया है। जाहिर है इस मुनाफे की बड़ी वजह विज्ञापनों से होने वाली आय में तेजी से बढ़ोतरी ही है। देश में इन दिनों चल रहे आम चुनावों की छाया में यह रिपोर्ट सचमुच चिंता पैदा करने वाली है कि मेटा कंपनी चुनावी दुष्प्रचार, नफरत भरे भाषण और हिंसा को बढ़ावा देने वाले एआइ जनरेटेड फोटो वाले विज्ञापनों का पता लगाने और उसे ब्लॉक करने में विफल रही है। यह विफलता मेटा कंपनी की तो है ही, हमारी उन सरकारी एजेंसियों की भी है जिन पर ऐसे कंटेंट पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी है। खास तौर से चुनावी माहौल में जब ऐसे विज्ञापनों को मेटा कंपनी खुद अनुमति दे रही हो जिनमें समुदायों को लेकर आपत्तिजनक बातें कही गई हों या फिर एआइ के जरिए वीडियो में छेड़छाड़ कर भ्रामक विज्ञापन बनाए जा रहे हों।
हैरत इस बात की भी कि सोशल मीडिया के विज्ञापनों में दुष्प्रचार का खुलासा भी किसी सरकारी एजेंसी ने नहीं बल्कि कॉरपोरेट जवाबदेही समूह ‘एको’ने इंडिया सिविल वॉच के सहयोग से किए गए अध्ययन में किया है, जबकि खुद मेटा कंपनी और दूसरी निगरानी संस्थाओं को इस तरफ ध्यान देना था। दरअसल, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मसला ऐसा है जिसकी अब अनदेखी कतई नहीं की जानी चाहिए। बड़ी चिंता यह भी है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी सिर्फ कमाई की तरफ ही ध्यान देने लगे हैं। मेटा कंपनी विज्ञापनों में उसकी नीतियों के उल्लंघन से इंकार करने की बात कह रही है लेकिन जो जानकारी सामने आई है उसे देखते हुए उसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कंटेंट की निगरानी का पुख्ता बंदोबस्त करना ही होगा।
Hindi News / Prime / Opinion / PATRIKA OPINION सोशल मीडिया: सख्त निगरानी तंत्र जरूरी