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प्रौद्योगिकी नीति को आकार देने में भारतीयों की अग्रणी भागीदारी

एआइ की दुनिया में भारत: ‘टाइम 100 एआइ 2024’ सूची में बड़ी संख्या में भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति

जयपुरSep 24, 2024 / 10:26 pm

Nitin Kumar

Artificial Intelligence

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संदीप गोयल
लेखक रीडिफ्यूजन के चेयरमैन हैं
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टाइम मैगजीन की ‘टाइम 100 एआइ 2024’ सूची में 91 नाम ऐसे हैं जो पिछले वर्ष की सूची में नहीं थे। यह इस बात का संकेत है कि ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का क्षेत्र कितनी तेजी से बदल रहा है। पिछले वर्ष टाइम द्वारा सूची जारी करने के सिर्फ दो माह बाद ही, हम व्यापारिक जगत की एक सबसे नाटकीय घटना के गवाह बने। यह एक ऐसा क्षण था, जिसने विश्व का ध्यान एआइ का नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों की ओर आकर्षित किया। नवंबर 2023 में, ओपनएआइ के बोर्ड ने सीईओ सैम ऑल्टमैन को उनकी निष्ठा पर उठे सवालों के बीच पद से हटाकर उद्योग जगत को चौंका दिया। ओपनआइ में ऑल्टमैन के लौट आने के बाद टाइम ने उन्हें 2023 के लिए ‘सीईओ ऑफ द ईयर’ के रूप में मान्यता दी। टाइम की 2024 की सूची में जिन लोगों को शामिल किया गया है उनमें नेतृत्वकर्ताओं, नवप्रवर्तकों, विचारकों-बुद्धिजीवियों और योजनाकारों के नाम हैं। रुचिकर तो यह है कि इस सूची में बड़ी संख्या में भारतीय और भारतीय मूल के व्यक्ति (पर्सन्स ऑफ इंडियन ओरिजन- पीआइओ) हैं।
प्रभावशाली हस्तियों की इस सूची में गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला भी हैं जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है। लीडर्स की इस सूची में अमेजन के रोहित प्रसाद भी हैं जो एलेक्सा के टीम लीडर रह चुके हैं और अब ‘आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस’ के लिए प्रमुख वैज्ञानिक हैं। नवप्रवर्तकों की सूची में पप्र्लेक्सिटी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास, एब्रिज के सीईओ शिव राव और प्रोटोन के उत्पाद प्रमुख अनंत विजय सिंह हैं। सूची में फेडरल ट्रेड कमीशन की अध्यक्ष लीना खान (पाकिस्तानी मूल की) भी शामिल हैं।
बुद्धिजीवियों की सूची में एआइनाउ इंस्टीट्यूट की सह- कार्यकारी निदेशक अंबा काक को भी जगह मिली है। उनके नेतृत्व में एआइनाउ इंस्टीट्यूट उद्योग के अग्रणी समीक्षकों में से एक के रूप में उभर रहा है। वह कहती हैं कि प्रौद्योगिकी नीति को समझना न्यूरल नेटवर्क यानी मशीन लर्निंग तकनीक के सभी पहलुओं का अध्ययन नहीं है बल्कि यह इसके अनुप्रयोगों की ताकत को जानना है। 2023 में इंस्टीट्यूट ने 103 पेज की एक मौलिक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि प्रौद्योगिकी इंडस्ट्री में एआइ किस तरह नए इनपुट के साथ तालमेल और मानव जैसे कार्य करना संभव बना रहा है। तब से काक नए एआइ मॉडल्स को विनियमित करने के लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन जैसी संस्था की वकालत कर रही हैं और एआइ को शक्ति देने के लिए प्रयुक्त डेटा सेंटरों के जलवायु परिवर्तन पर असर को लेकर सवाल उठा रही हैं। उन्होंने सरकारों के लिए एआइ के सामाजिक जोखिमों से निपटने के लिए नीतिगत रूपरेखा भी जारी की है।
‘टाइम थिंकर्स’ सूची में 23 वर्षीय द्वारकेश पटेल भी हैं जिनका पॉडकॉस्ट एआइ पर सबसे गहन शोध वाले पॉडकास्ट में से एक है। पटेल की ख्याति जल्द ही विषय के गहन और तकनीकी अन्वेषण के लिए हो गई। जेफ बेजोस और मार्क जुकरबर्ग समेत अनेक प्रौद्योगिकीविदों ने उनकी तारीफ की है। टाइम की शेपर्स सूची में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रौद्योगिकी दूत अमनदीप सिंह गिल को भी स्थान दिया गया है। भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी, जिनकी पढ़ाई-लिखाई चंडीगढ़ में हुई है, गिल ने आधुनिक जिंदगी पर एआइ के प्रभाव और भविष्य में एआइ की सकारात्मक भूमिका सुनिश्चित करने के लिए नियामक ढांचे की जरूरत पर विस्तार से लिखा है। उन्होंने ग्लोबल साउथ पर एआइ के सशक्त असर और ब्लॉक के भीतर एआइ कैसे विकास कर सकता है, पर भारत की भूमिका को लेकर वैश्विक मंचों पर चर्चा की है। अमरीका के यूएस ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डायरेक्टर आरती प्रभाकर, कलेक्टिव इंटेलिजेंस प्रोजेक्ट की सह-संस्थापक दिव्या सिद्धार्थ, खोसला वेंचर्स के संस्थापक विनोद खोसला, भारत के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, नंदन नीलेकणी और अभिनेता अनिल कपूर (दिल्ली हाईकोर्ट में अपने नाम, आवाज, छवि या अन्य व्यक्तिगत विशेषताओं के अनधिकृत एआइ उपयोग के मामले में ऐतिहासिक जीत को लेकर) का भी शेपर्स सूची में नाम है।
‘टाइम 100 एआइ’ सूची में दिग्गजों का एक दिलचस्प संग्रह है। इसमें भारतीयों का हिस्सा करीब 20त्न है, जो सराहनीय है। यद्यपि, यह एक बहस का मुद्दा हो सकता है कि क्या सूची में शामिल सभी प्रतिष्ठित व्यक्तित्व किसी भी रूप में भारत में एआइ को आकार देने में मदद कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को छोडक़र, ‘टाइम 100 एआइ’ सूची में शामिल ज्यादातर लोग अपने मूल देश से काफी दूर हैं। भारत सरकार ने इस उभरते क्षेत्र को समर्थन देने के लिए 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक राशि आवंटित की है और कंप्यूटिंग क्षमता बढ़ाने के लिए 10,000 से ज्यादा ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जिनसे एआइ प्रौद्योगिकी को गति देने, स्थानीय स्टार्टअप के लिए वित्तीय मदद, उच्च-गुणवत्ता वाले डेटासेट तक पहुंच बढ़ाने, भारतीयों के लिए एआइ शैक्षिक अवसरों तक पहुंच का विस्तार करने व अत्याधुनिक एआइ मॉडल को विकसित करने में सहायता मिलेगी। उम्मीद है कि देश अपने लक्ष्य हासिल करने में सफल होगा।

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