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Leadership: टीम सदस्यों को सक्रिय रूप से सुनना जरूरी

लीडर प्रभावी तभी होंगे, जब वे स्वयं संवेदनशील बनेंगे

जयपुरAug 12, 2024 / 10:06 pm

Nitin Kumar

प्रो. हिमांशु राय

निदेशक, आइआइएम इंदौर

पिछले आलेख में चर्चा की गई थी कि किस प्रकार जुनून और संवेदनशीलता के साथ लीडर सफल नेतृत्व कर सकते हैं। जुनून और संवेदना के सामंजस्य से लीडर न सिर्फ अपनी टीम और संगठन को, बल्कि स्वयं की क्षमताओं को भी बेहतर बना सकते हैं। पर नेतृत्व में संवेदनशीलता मात्र दयालु होने से कहीं ज़्यादा है; इसमें टीम के सदस्यों की बातें सक्रिय रूप से सुनना, उनकी चुनौतियों को समझना और जरूरत पडऩे पर सहायता प्रदान करना शामिल है। एक संवेदनशील लीडर कार्यस्थल पर सुरक्षित और समावेशी वातावरण बनाता है जहां सभी कर्मचारी अपने विचारों और चिंताओं को व्यक्त करने में सहज महसूस करते हैं। यह खुलापन विश्वास को बढ़ावा देता है, जो किसी भी सफल टीम की नींव है।
इसके अलावा, वे वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व को पहचानते हैं। वे ऐसी नीतियों और प्रथाओं को प्रेरित करते हैं जो उनके कर्मचारियों की समग्र भलाई का समर्थन करती हैं, जैसे फ्लेक्सिबल वर्क ऑवर्स, मेंटल हेल्थ डे, और पेशेवर क्षमता विकास के अवसर। जब वे व्यक्तिगत रूप से टीम के सदस्यों की परवाह करते हैं, तब वे संगठन के भीतर वफादारी और अपनेपन की भावना का निर्माण करने में सफल होते हैं। पर आवश्यक यह है कि जुनून और संवेदनशीलता में एक सही संतुलन हो। अधिक जुनून से भी संगठन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और अत्यधिक संवेदनशीलता से भी लक्ष्यों की प्राप्ति में समस्या आ सकती है। अत: सबसे प्रभावी लीडर इन दोनों गुणों को सहजता से एकीकृत करते हैं, जिससे एक संतुलित दृष्टिकोण बनता है जो प्रदर्शन और कल्याण दोनों में सहायक होता है। इस एकीकरण को प्राप्त करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
1. उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करें: अपने कार्यों और निर्णयों के माध्यम से जुनून का प्रदर्शन करें, अपनी टीम को दिखाएं कि आप संगठन के लक्ष्यों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, सुलभ होकर, सक्रिय रूप से उनकी बातें और चुनौतियां सुनकर और सहानुभूति दिखाकर करुणा भी व्यक्त करें।
2. प्रभावी ढंग से संवाद करें: अपने दृष्टिकोण और लक्ष्यों को उत्साह के साथ साझा करें, और नियमित रूप से प्रगति और उपलब्धियों के बारे में संवाद करें। प्रतिक्रिया के लिए खुलापन रखें, जिससे टीम के सदस्य भी आपकी बातें सुनें, अपनी भावनाएं साझा करें और मूल्यवान महसूस करें।
3. अपनी टीम को सशक्त बनाएं: टीम के सदस्यों को नए विचारों और दृष्टिकोणों को खोजने की स्वायत्तता देकर नवाचार व रचनात्मकता को प्रोत्साहित करें। आवश्यक संसाधनों के साथ मदद करें और उन्हें आगे बढऩे में मदद के लिए रचनात्मक प्रतिक्रिया दें।
4. सफलताओं का जश्न मनाएं, असफलताओं से सीखें: अपनी टीम की उपलब्धियों को स्वीकार करें और उनका जश्न मनाएं, चाहे वे कितनी भी छोटी क्यों न हों। जब असफलताएं आती हैं, तो उन्हें एक संवेदनशील मानसिकता के साथ स्वीकारें और दोष देने के बजाय सीखने और सुधार पर ध्यान केंद्रित करें।
5. सकारात्मक संस्कृति को बढ़ावा दें: ऐसा कार्य वातावरण बनाएं जो सम्मान, समावेशिता और समर्थन को प्राथमिकता देता हो। टीम सदस्यों के बीच सहयोग और आपसी सम्मान को प्रोत्साहित करें, और संघर्षों को सहानुभूति और निष्पक्षता के साथ संबोधित करें।
प्रभावी नेतृत्व जुनून और संवेदनशीलता के माध्यम से प्रदर्शन को आगे बढ़ाने और एक सहायक और समावेशी कार्य वातावरण को पोषित करने के बीच सही संतुलन बनाने के बारे में है।

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