स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, फार्मास्यूटिकल एवं बायोफार्मास्यूटिकल उद्योग से जुड़े व्यक्ति और खुद एक उद्यमी के तौर पर, मेरा यह मानना है कि इस प्रशासन की कई विशेष खूबियों में से एक बेहतर और अधिक सुदढ़ राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के निर्माण के प्रति सरकार की वचनबद्धता है। जब 2020 में पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जूझ रही थी, तब भारत निर्णायक नेतृत्व, दूरदर्शी योजना, आरोग्य सेतु एवं कोविन ऐप जैसे नवाचारों के जरिए इस घातक वायरस से प्रभावी तरीके से निपटने में सक्षम था। इसके परिणामस्वरूप, भारत न केवल अपनी 90 प्रतिशत से अधिक आबादी को टीके लगाने में सफल रहा, बल्कि इसने ‘वैक्सीन मैत्रीÓ पहल के हिस्से के रूप में टीके भेजकर कई अन्य देशों की भी मदद की। इससे भारत की साख बढ़ी
पिछले ९ वर्षों में, मोदी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है जिसका उद्देश्य सभी को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। ‘ई-संजीवनीÓ नाम की सरकार की रचनात्मक टेलीमेडिसिन सेवा लोगों को अपना घर छोड़े बिना प्रमुख शहरों में मौजूद विशेषज्ञ डॉक्टरों तक पहुंचने में मदद करती है। यह बुजुर्गों और अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं वाले दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी मदद है। यह टेलीमेडिसिन सेवा दिहाड़ी मजदूरों के लिए अपनी मजदूरी खोने के डर के बिना चिकित्सीय परामर्श लेना संभव बनाती है। जन औषधि परियोजना के तहत आम लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाइयां सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हंै। आयुष्मान भारत योजना 1,54,000 से अधिक स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों के अपने नेटवर्क के जरिए एक स्वस्थ एवं उत्पादक नया भारत बनाने के साथ-साथ समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बीमा कवर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
एक महिला व्यवसायी के तौर पर एक और बड़ा बदलाव जो मैंने देखा है, वह पिछले ९ वर्षों में देश में उद्यमिता संबंधी परिदृश्य का विकास है। आज बहुत सारे ऊर्जावान युवा हमारी रोजमर्रा की समस्याओं के नए-नए समाधान ढूंढ रहे हैं। यह सब केवल ‘मेक इन इंडियाÓ और ‘स्टार्ट-अप इंडियाÓ जैसी उच्च-लक्षित सरकारी पहलों के कारण ही संभव हो पाया है। वास्तव में, देश के कानूनों और विनियमों में व्यवसायों के अनुकूल किए गए बदलावों से सड़क, हवाई संपर्क जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है। इससे भारतीय उद्योग जगत को काफी मदद मिली है। आज, कई बहुराष्ट्रीय निगम भारत को मैन्युफैक्चरिंग के एक पसंदीदा स्थल के रूप में देख रहे हैं। पिछले ९ वर्षों के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) और निर्यात दोनों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। एफडीआइ हासिल करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देशों में भारत को स्थान दिया गया है और देश ने वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान 84.8 बिलियन अमरीकी डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआइ प्रवाह प्राप्त किया है।
मेरे हिसाब से एक और महत्त्वपूर्ण उपलब्धि महिला सशक्तीकरण में निहित है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओÓ कार्यक्रम ने बेटियों के प्रति भारतीय समाज की धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है। आज बेटियों के जन्म पर उत्सव मनाया जा रहा है और खेल, विज्ञान, मनोरंजन, रक्षा या विमानन, हर क्षेत्र में महिलाएं भारत का नाम रोशन कर रही हैं। मेरा मानना है कि यह न केवल इस सरकार के लिए, बल्कि प्रत्येक भारतीय महिला के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए दिए जाने वाले मुद्रा ऋण परियोजना की मदद से 408 मिलियन से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन गई हैं। उज्ज्वला योजना ने समाज के सबसे वंचित वर्गों की 96 मिलियन महिलाओं को रियायती दरों पर एलपीजी प्राप्त करने में मदद की है। यह योजना खाना पकाने के अस्वच्छ ईंधन के कारण पैदा होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाली श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी से लाखों लोगों को बचा रही है। इन ९ वर्षों के दौरान, सरकार की नीतियों ने विश्व में भारत की स्थिति को बेहतर किया है। पर्याप्त मात्रा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को आकर्षित करने के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा दिया है और उद्यमियों के लिए बड़े अवसर पैदा किए हैं। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो विश्व अर्थव्यवस्था की तुलना में दुगनी तेजी से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आत्मविश्वासी एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र में बदल गया है, जो कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और ऐतिहासिक विरासत के अनुरूप है।