लखीमपुर कांड ने किसान आंदोलन के साथ ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा को भी संजीवनी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से वह किसानों की बड़ी रैली से चुनावी शंखनाद करने जा रही हैं। उन्होंने अंतिम समय में प्रतिज्ञा रैली का नाम बदलकर किसान न्याय रैली कर दिया है। यदि उन्हें किसानों की सहानुभूति मिलती है तो कांग्रेस को इसका कितना फायदा होगा यह भविष्य के गर्त में है। हालांकि, विपक्ष के लिए यह यूपी में अच्छा अवसर था। किसानों के नाम पर सभी दल एकजुट हो सकते थे। लेकिन, अखिलेश यादव हों या फिर बसपा महासचिव सतीशचंद मिश्र, सभी अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। किसान आंदोलन के भी दो गुट हो गए हैं।
बहरहाल, इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जिस तरह से चुभते सवाल किए हैं, और यूपी पुलिस ने मामले में जिस तरह का ढुलमुल रवैया अपनाया है उससे साबित होता है, कहीं कुछ तो गड़बड़ जरूर हुई है। घटना बर्बर और शर्मनाक तो है ही। -महेंद्र प्रताप सिंह