प्रदेश में न्यायालयों में लम्बित राजस्व प्रकरण न्यायालय का प्रकार – 8 अप्रेल 2024 तक लम्बित प्रकरण राजस्व मंडल – 66,721 संभागीय आयुक्त – 9,392 अति. संभागीय आयुक्त – 4,661
राजस्व अपील अधिकारी – 22,709 भू-प्रबंध अधिकारी पदेन आरएए – 12,038 जिला कलक्टर – 15,073 एडीएम – 22,231 उपखंड अधिकारी – 4,21,343 सहायक कलक्टर – 33,858 सहायक कलक्टर (एफटी) – 34,391
उपनिवेशन – 1993 तहसीलदार – 8343 नायक तहसीलदार – 4828 कुल – 6,57,581 फेक्ट फाइल एक अप्रेल 2019 तक कुल लम्बित राजस्व प्रकरण – 4,51,996 एक अप्रेल 2019 से 31 मार्च 2024 तक कुल पंजीकृत प्रकरण – 7,30,815
पांच साल में फैसले किए गए – 5,24,672 31 मार्च 2024 तक लम्बित प्रकरण – 6,58,139 पांच साल में बढ़े – 2,06,143 राजस्व के पारिवारिक प्रकरण अधिक विशेषज्ञों के अनुसार राजस्व प्रकरणों में ज्यादातर मामले बंटवारे के, सहखातेदारों के, जिसमें भाइयों के बीच जमीन को लेकर विवाद होना, रास्तों के विवाद प्रमुख हैं। पिछले कुछ सालों से पिता की सम्पत्ति में बेटों के साथ बेटियों को बराबर का हकदार बनाने से भी राजस्व विवाद के प्रकरण बढ़े हैं।
ये हैं लम्बित प्रकरणों के प्रमुख कारण राजस्व मामलों के विशेषज्ञ व वरिष्ठ आरएएस अधिकारी ने पत्रिका को बताया कि राजस्व प्रकरणों के वर्ष दर वर्ष बढऩे के कई कारण हैं, जिसमें राजस्व अधिकारियों के पद रिक्त होना। नागौर में राजस्व अपील अधिकारी का पद पिछले करीब एक साल से रिक्त है। सहायक कलक्टर का पद तीन साल से रिक्त है। जो पदस्थापित हैं, वे नियमित बैठक करें और उन्हें प्रोटोकॉल ड्यूटी में अतिआवश्यक होने पर ही लगाया जाए। राजस्व प्रकरणों की पेंडेंसी कम करने के लिए राजस्व अधिकारियों एवं उनके रीडर को प्रशिक्षण की आवश्यकता है, कई अधिकारी बिना विधिक प्रक्रिया अपनाए फैसले कर देते हैं, जो पेंडेंसी बढ़ाने के कारण बनते हैं।
पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण राज्य सरकार के त्वरित और गुणवत्तापूर्वक न्याय प्रदान करने के निर्देशों के अनुरूप पुराने प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारण किया जा रहा है। साथ ही पीठासीन अधिकारियों को नियमित तौर पर राजस्व न्यायालयों में बैठना, विभिन्न वाद संबंधी औपचारिकताएं जैसे नोटिस तामीली, कुर्रेजात रिपोर्ट आदि समयबद्ध तरीके से पूरी करना जैसे कार्यों पर काम किया जा रहा है।
– डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिला कलक्टर, जयपुर एक्सपर्ट कमेंट – जिनके पास समय नहीं, उनको दे दी जिम्मेदारी राजस्व से जुड़े ज्यादातर मामले प्रशासनिक अधिकारियों के पास हैं और प्रशासनिक अधिकारी सरकार एवं प्रशासन से जुड़े कार्यों में व्यस्त होने के कारण राजस्व प्रकरणों की सुनवाई में पूरा समय नहीं दे पाते हैं। दूसरा बड़ा कारण यह है कि वाद बाहुलता के हिसाब से न्यायालय ने नहीं खोले गए हैं, जबकि सरकार को जहां राजस्व प्रकरण ज्यादा हैं, वहां अतिरिक्त न्यायालय सृजित करने चाहिए। तीसरा कारण यह भी है कि राजस्व न्यायालयों में पूरे कर्मचारी नहीं है, जिसके कारण प्रतिवादी को समय पर नोटिस ही तामील नहीं हो पाते हैं। इसलिए सरकार को राजस्व न्यायालयों के सभी पद भरने चाहिए।
– भागीरथ चौधरी, एडवोकेट, नागौर