सवाल यह है कि यह काला धन आता कहां से है। अर्थशास्त्र में काले धन की कोई आधिकारिक परिभाषा नहीं है, कुछ लोग इसे समानांतर अर्थव्यवस्था के नाम से जानते हैं तो कुछ इसे काली आय, अवैध अर्थव्यवस्था और अनियमित अर्थव्यवस्था जैसे नामों से भी पुकारते हैं। यदि सरल शब्दों में इसे परिभाषित करने का प्रयास करें तो कहा जा सकता है संभवत: काला धन वह आय होती है जिसे कर अधिकारियों से छुपाने का प्रयास किया जाता है। इसे गैर-कानूनी गतिविधियों से कमाया जाता है।
काले धन का खर्च मनोरंजन, विलासिता, भ्रष्टाचार, चुनावों के वित्त पोषण, सट्टेबाजी जैसी आपराधिक गतिविधियों पर किया जाता है, जिससे एक तरफ अपराध एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है तो दूसरी तरफ एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो जाती है। वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और भारतीय जनता पार्टी ने काले धन को बड़ा मुददा बनाकर वादा किया था कि सत्ता में आने पर विदेशों में जमा काला धन देश में लाया जाएगा। बीते सात वर्षों से इस पर चर्चा चल रही है, मगर एसएनबी की ताजा रिपोर्ट से यह जाहिर हुआ है कि काले धन को रोकने के लिए जो उपाय किए गए हैं, वे नाकाफी हैं।
काले धन को काबू करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। चुनाव में इसका प्रयोग रोकने के लिये व्यापक कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है क्योंकि यहां काला धन खपाना काफी आसान है। चुनाव में तो काला धन लगाकर उसे दो-चार गुना अधिक करने का रास्ता भी तैयार किया जाता है। राजनीतिक दलों को ‘सूचना का अधिकारÓ केदायरे में लाना चाहिए और इनके बही-खातों की नियमित ऑडिटिंग होनी चाहिए। साथ ही हवाला करोबार पर अंकुश लगाना चाहिए।