तो आप भी जानना चाहेंगे कौन सा है त्योहार जिसे पुलिस विभाग को मनाने से खुद मुख्यमंत्री तक नहीं मना करते और थाने में ही भव्य कार्यक्रम किया जाता है और क्या है उसके पीछे की कहानी।
दरअसल द्वापर युग में जब कंस को भविष्यवाणी हुई की उसकी बहन यानी देवकी और वासुदेव का का पुत्र उसकी की मृत्यु का कराण बनेगा तो कंस ने उन्हें कारागार यानी जेल में डाल दिया। इसके बाद देवकी और वासुदेव के जितने भी बच्चे हुए कंस नें सभी का वध कर दिया। लेकिन जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो ऐसा चमत्कार हुआ की जेल के सभी ताले टूट गए, दरवाजे अपने आप खुल गए। इतना ही नहीं जितने भी संतरी या सिपाही, द्वारपाल पहरे पर लगे थे सभी गहरी नींद में सो गए। जिसकी वजह से बालक कृष्ण का जन्म होते ही उनके पिता वासुदेव उन्हें लेकर आसानी से वृंदावन पहुंच गए और नंद बाब-यशोदा को सौंप दिया और कंस को भनक तक नहीं लगी।
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पुलिस जवान इस वजह से मनाते है जन्माष्टमी- श्री कृष्ण के इस माया की वजह से ही पुलिस थानों में हर साल जन्माष्टमी यानी कृष्ण जन्मोत्सव मनाती है। दरअसल बताया जाता है कि उस युग में जिस तरह कारागार था अब पुलिस जेल की पहरेदारी करती है और इस दिन जन्माष्टमी मना कर सभी पुलिसवाले भगवान कृष्ण से प्राथर्ना करते हैं कि उनके साथ इस तरह कभी कोई घटना घटित न हो जाए।
ये भी पढ़ें : Krishna Janmashtami 2018: कृष्ण जन्माष्टमी पर हर साल बजाए जाते हैं ये भजन एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है तैयारी- आपको बता दें कि यूपी के ही लगभग सभी जिलों में एक महीने पहले से ही जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। प्रसाद के लिए कुंतलो धनिया को धो कर पिसाया जाता है। सभी जवान आपस में मिल कर प्रसाद तैयार करते हैं और थाने परिसर में ही भव्य झांकी सजाई जाती है। झाल-मझिरे पर कृष्ण जन्मोत्सव के लिए सोहर, भजन गाए जाते हैं। लगभग पूरी रात जवान से लेकर अधिकरी त्योहार का आनंद उठाते हैं। थानों के साथ ही पुलिस लाइनों में भी जन्माष्टमी धूम-धाम से मनाई जाती है।