विश्वकर्मा जयंती 2018 के बार में पंडित कैलाश नाथ द्विवेदी कहते हैं कि विश्वकर्मा जयंती प्रतिवर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। वहीं इस वर्ष
vishwakarma jayanti 2018 Date 17 सितंबर सोमवार के दिन है। इस दिन सभी फैक्ट्री एवं कार्य क्षेत्र में धूमधाम से पूजा होती है।
Dev Shilpi Vishwakarma को दिव्य इंजीनियर और ब्रहमांड के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। इस दिन इंजीनियरिंग समुदाय और पेशेवर लोगों द्वारा Dev Shilpi की पूजा की जाती है। यह पूजा सभी औद्योगिक घरानों द्वारा सितंबर महीने में की जाती है।
पुरातन में इन नगरों का किया था निर्माण पौराणिक कथाओं के मुताबिक विश्वकर्मा ने भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका का निर्माण किया था। इसके साथ ही इन्होंने युधिष्ठिर की नगरी इन्द्रप्रस्थ का भी निर्माण किया था और अपनी कला से इस नगरी को मायावी रूप दिया था। वहीं सोने की लंका को भी इन्होंने बसाया था।
सृष्टि निर्माण के साथ बनाए कई औजार पंडित जी बताते हैं कि पूरी सृष्टि के निर्माण के साथ ही भगवान विश्वकर्मा ने कई औजार भी बनाए। इन्होंने कई दिव्य शास्त्रों का निमाण किया था। जिसमें देवराज इंद्र का व्रज भी शामिल है। इन्होंने यह वज्र महर्षि दधीची की हड़डियों से बनाया था।
सृष्टि के शिल्पकार का ऐसे हुआ जन्म पंडित कैलाश नाथ बताते हैं कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सर्वप्रथम भगवान विष्णु ने अवतार लिया था। वहीं उनकी नाभि में कमल पुष्प में ब्रहमा देव विराजमान थे। ब्रहमा देव को सृष्टि का रचयिता भी कहा जाता है। अतः उन्होंने ही सबसे पहले धर्म को जन्म दिया। जिसके बाद धर्म ने वस्तु नामक एक कन्या (प्रजापति दक्ष की पुत्री) से विवाह किया। जिनसे उन्हें वास्तु नामक एक पुत्र की प्राप्ति हुई, वास्तु भी शिल्पकार थे। इन्हीं वास्तु की संतान विश्वकर्मा थे जो कि अपने पिता के समान ही श्रेष्ठ शिल्पकार बने। इन्होंने ही ब्राह्यांड का निर्माण किया।
भगवान विश्वकर्मा की ऐसे करें पूजा भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के दौरान सबसे पहले इनकी प्रतिमा को विराजित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इस दिन सभी इंजीनियर अपने कार्य स्थल, निर्माण स्थल आदि की पूजा करते हैं। वहीं मजदूर वर्ग के लौग अपने औजारों की पूजा करते हैं। वहीं इस दिन कारखानों में अवकाश भी रखा जाता है। कई स्थानों पर यज्ञ भी किया जाता है।