इसके अलावा अन्य बच्चों के साथ खेलने से रोकना-टोकना, पढ़ाई में कमजोर होने पर स्कूल में टीचर द्वारा टारगेट किए जाने से बच्चे डिप्रेशन में जा रहे हैं। कभी कभी तो ऐसे बच्चे आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। जी हां, यह सच्चाई आरएनटी मेडिकल कॉलेज के बाल चिकित्सालय में संचालित उजाला क्लिनिक में काउंसलिंग के दौरान सामने आई है।
क्लिनिक के दो साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो बाल चिकित्सालय में 6 हजार तनावग्रस्त किशोर (10 से 14 साल के बच्चे) पर शोध किया गया। अधिकांश बच्चों की दो से तीन बार जांच के बाद काउंसलिंग की गई। इस दौरान बच्चों ने कई ऐसे-ऐसे कारण बताए, जो सीधे माता-पिता जुड़े हैं।
काउंसलर विनोद कुमारी, डॉ. अनुराधा सनाढ्य की टीम ने बच्चों के परिवार को भी टटोला तो अधिकतर बच्चे एकल परिवार के निकले। संयुक्त परिवार वाले बच्चों की संख्या गिनी चुनी थी लेकिन परिवार में दादा-दादी, नाना-नानी से संवाद के चलते वे सामान्य थे।
केस एक: बार-बार सीने में दर्द
एक छात्र को बार-बार सीने में दर्द होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया। तीन बार जांच रिपोर्ट नॉर्मल आई। काउंसलिंग की तो उसने स्कूल में टीचर द्वारा टारगेट की बात बताई। परिवार को कई बार बताना चाहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी तो वह तनाव में आ गया।केस दो: घर से चुराने लगी पैसे
एक छात्रा पड़ोस में रहने वाली बाहरी छात्राओं के सम्पर्क में आई। छात्राओं ने उसे नशे की लत लगा दी। फिर नशे के लिए घर से पैसे चुराने लगी, झूठ बोलकर पैसे मांगने लगी। परिवार ने कभी उसकी हरकतों पर ध्यान नहीं दिया। नशा नहीं मिलने पर खुदकुशी का प्रयास किया।10 से 14 साल : 6 कारण
1. स्कूल में टीचर द्वारा टारगेट होना, बार-बार टोकना 2. स्कूल में साथी बच्चों द्वारा चिढ़ाना, मजाक बनाना 3. घर पर माता-पिता की ओर से बात नहीं सुनना 4. घर में छोटी-छोटी बात पर माता-पिता का झगड़ना 5. बच्चों को खेलने के लिए घर से बाहर नहीं निकलने देना 6. हर छोटी बात पर रोकना-टोकना
14 से 19 साल: 4 कारण
1. मोबाइल की लत पर रोकना, टोकना 2. अकेलापन, नशे की लत, परीक्षा तनाव 3. मां-बाप की ओर से जबरन अरुचि वाले विषय थोपना 4. परिवार में आपस में लव अफेयर्स
सामान्य नहीं हैं बच्चों में ये लक्षण
धड़कन तेज होना, सांस लेने में तकलीफ, हाथ-पैर कांपना, घबराहट, सोने में परेशानी, मुंह सूखना, जी मितलाना, सीने में दर्द व शरीर में झनझनाहट।फरवरी-24 में सर्वाधिक खुदकुशी के मामले
फरवरी 2024 में कक्षा 10 और 12वीं के किशोरों ने तनाव के चलते सर्वाधिक खुदकुशी के प्रयास किए गए। लव अफेयर्स के मामले भी इसी माह में ज्यादा आए। पता चला कि इस समय परीक्षा की तैयारी के चलते किशारों को बाहर आना-जाना बंद हुआ है और परिजनों ने टोका तो उन्होंने खुदकुशी का प्रयास किया। यह भी पढ़ें
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बच्चे को समय दें परिजन
मां-बाप बच्चे से हर बार टॉपर की उम्मीद करते हैं, इससे भी बच्चे तनाव में आते हैं। मोबाइल के लिए रोक-टोक ठीक है लेकिन पहले माता-पिता को खुद ही मोबाइल पर लगाम लगानी और बच्चे को समय देना चाहिए। एग्जाम टाइम में इसका विशेष ध्यान जरूरी है।-डॉ. सुरेश गोचर, प्रोफेसर एंड हेड, मनोचिकित्सा विभाग