NASA ने दी नामकरण की अनुमति
दक्ष मालिक को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने एस्टेरॉइड की खोज के लिए सम्मानित किया है। एस्टेरोइड के खोज और नामकरण के नियमों के अनुसार NASA ने दक्ष मालिक को इसका नाम रखने की अनुमति दी है। फिलहाल इस एस्टेरोइड का नाम ‘2023 OG40’ है।
दक्ष ने कैसे किया ये कमाल ?
जब स्कूल की एस्ट्रोनॉमी क्लब ने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च कोलैबोरेशन (IASC) को जब एक मेल भेजा तब इंटरनेशनल एस्टेरॉइड डिस्कवरी प्रोजेक्ट (IADP) के तहत दक्ष मलिक और उनके स्कूल के कुछ दोस्तों ने लगभग डेढ़ साल तक अंतरिक्ष में एस्टेरॉइड खोजा।
दक्ष से पहले भारत के पांच छात्रों ने किया है ये कमाल
IASC, जो NASA से जुड़ा हुआ एक नागरिक विज्ञान कार्यक्रम है। दुनिया भर के लोगों, खासकर छात्रों, को अपने डेटा और सॉफ्टवेयर का उपयोग करके नए क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉइड) खोजने में NASA की मदद करने का मौका देता है। IADP, जो STEM एंड स्पेस और IASC द्वारा आयोजित किया जाता है। हर साल दुनिया भर से 6,000 से ज्यादा प्रतिभागियों को जोड़ता है और उनमें से कुछ ही हर साल नए क्षुद्रग्रह खोजने में सफल होते हैं। IASC की वेबसाइट के अनुसार, दक्ष से पहले भारत के 5 और छात्र ऐसे रहे हैं जिन्होंने नामित क्षुद्रग्रह खोजे हैं।
दक्ष को रोमांचक लगी ये प्रक्रिया
दक्ष को क्षुद्रग्रह खोजने की प्रक्रिया बहुत रोमांचक लगी। प्रतिभागियों को IASC द्वारा दिए गए डेटा डाउनलोड करने होते थे। फिर उन्हें “एस्ट्रोनॉमिका” सॉफ्टवेयर पर कैलिब्रेट करना होता था। इसके बाद, उन्हें किसी ऐसे खगोलीय वस्तु की तलाश करनी होती थी जो क्षुद्रग्रह हो सकती है। उन्हें देखना होता था कि कोई वस्तु हिल रही है या नहीं और यह भी जांचना होता था कि उस वस्तु से निकलने वाली रोशनी क्षुद्रग्रह की सीमा के अंदर है या नहीं। दक्ष ने क्या कहा ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्ष मलिक ने कहा कि मैं बचपन से ही अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखता था। मैं नेशनल जियोग्राफिक पर ग्रहों और सौर मंडल के बारे में बनी सभी डॉक्यूमेंट्रीज़ देखता था। यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। इस काम को करना बहुत मज़ेदार था। जब मैं क्षुद्रग्रहों की तलाश कर रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं खुद नासा में काम कर रहा हूं।