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नोएडा

Ponty Chadha के हाथों में नहीं थी ‘लकीर’, फिर भी बना शराब और सिनेमा का ‘बादशाह’

खबर की मुख्य बातें-
-Ponty Chadha का कभी यूपी में शराब कारोबार (Liquor king) पर पूरी तरह कब्जा हुआ करता था
-Ponty Chadha को यूपी और पंजाब में शराब पॉलिसी (wave group) मेकर भी कहा जाता था
-पोंटी चड्ढा (ponty chadha life and success story) की कंपनी ने फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन में खासा नाम कमाया

नोएडाJun 13, 2019 / 03:57 pm

Rahul Chauhan

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Ponty Chadha के हाथों में नहीं थी ‘लकीर’, फिर भी बना शराब और सिनेमा का ‘बादशाह’

नोएडा। कहते हैं किसी भी इंसान का नसीब उसके हाथों की लकीरों (ponty chadha) में होता है। लेकिन उसका न तो एक हाथ था और दूसरे हाथ के पंजे की लकीरें भी आधी-अधूरी ही थीं। बावजूद इसके वह उत्तर प्रदेश ही नहीं, देशभर में ‘लिकर किंग’ के नाम से मशहूर हुआ। इतना ही नहीं, देखते ही देखते वह देश का चर्चित और रसूखदार चेहरा (ponty chadha life and success story) बन गया। हालांकि उसके नसीब में कुछ और ही लिखा था। इतना पैसा होते हुए भी हिस्से बंटवारे को लेकर भाईयों में चली गोलियों में उसकी मौत हो गई।
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जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं गुरदीप सिंह चढ्ढा उर्फ पोंटी चड्ढा (Ponty Chadha) की। जिसका कभी यूपी में शराब कारोबार पर पूरी तरह कब्जा हुआ करता था। इसके साथ ही पोंटी चड्ढा को यूपी और पंजाब में शराब पॉलिसी मेकर भी कहा जाता था। इसके अलावा चड्ढा परिवार का कारोबारी साम्राज्य शराब रिटेल, चीनी मिल, डिस्टीलरी, बॉटलिंग, न्यूट्रीशनल फूड, पेपर मैन्यूफैक्चरिंग, फिल्म फाइनेंसिंग, थिएटर चेन, फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन और कॉमर्शियल रियल एस्टेट से लेकर रेजिडेंशियल रियल स्टेट तक फैला हुआ है।
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बिजली के करंट से उड़ गया था पोंटी का हाथ

पॉन्टी चढ्ढा (ponty chaddha) के साथ पढ़े कैलाश कपूर बताते हैं कि आदर्श नगर वाले पुराने घर में एक बार पोंटी अपने चचेरा भाई टीटू के साथ छत पर पतंग उड़ा रहे थे। तब उनकी उम्र करीब 10 से 11 वर्ष ही रही होगी। पतंग छत के ठीक बराबर से जा रही हाईटेंशन लाइन में उलझ गई थी। जिसे निकालने के लिए पोंटी (ponty chada) ने छत पर ही पड़े एक लोहे के तार का इस्तेमाल किया। जिससे उनके शरीर में करंट फैल गया और उनका बायां हाथ कोहनी से खत्म हो गया जबकि उनके दूसरे हाथ के पंजे से दो उंगली गायब हो गईं। इसके साथ ही उन्हें हथेली में भी चोट आई।
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पाकिस्तान से आया था पोंटी का परिवार

दरअसल, पोंटी चड्ढा (ponty chadha life) के पिता कुलवंत सिंह चड्ढा बंटवारे के समय पाकिस्तान के रावलपिंडी से अपने पिता और भाई हरभजन के साथ भारत आए थे। यहां वह सबसे पहले यूपी के रामनगर (अब उत्तराखण्ड में) के पीयू मदार में आकर बसे थे। इस बाबत जानकारी देते हुए मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरबिंदर बताते हैं कि चड्ढा परिवार ने रामनगर में आने के बाद गन्ने का क्रशर (चीनी बनाने के लिए) लगाया था। इसके कुछ समय बाद उन्होंने दूध का कारोबार भी शुरू किया। फिर ये लोग 1955-56 में रामनगर से मुरादाबाद में आकर बस गए।
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रिफ्यूजियों के क्वार्टर में रहा था परिवार

मुरादाबाद में आने के बाद चड्ढा परिवार आदर्श नगर में सरकार द्वारा रिफ्यूजियों को दिए गए क्वार्टर (मकान) में रहा था। इसी मकान में 1959 में पोंटी का जन्म हुआ था। इसके बाद से चड्ढा परिवार ने मुरादाबाद में ही अलग-अलग तरह का कारोबार करना शुरू कर दिया। यहां से पैसे कमाने के बाद परिवार ने वर्ष 1980 में सिविल लाइंस इलाके में अपना एक आलीशान मकान बनाया।
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पिता के साथ शराब के ठेके के सामने लगाते थे ठेला

पोंटी जब बड़े हुए तो वह मुरादाबाद में ही अपने पिता के साथ एक देसी शराब के ठेके के सामने ठेला लगाया करते थे। बाद में उनके पिता को शराब का ठेका मिल गया। जिसे पोंटी ने संभालना शुरू कर दिया। इसके बाद से उन्होंने एक बड़े साम्राज्य को स्थापित करना शुरू कर दिया। पिछले दो दशक से चड्ढा परिवार के मित्र रहे पंजाब के एक कांग्रेसी सांसद कहते हैं कि ”उन्होंने (पोंटी) बहुत मेहनत की थी। पोंटी का पहला बिजनेस 1992 में उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा पर पुल और सड़क के निर्माण का ठेका था। स्थानीय गिरोहों और अपहरण के लिए बदनाम इस इलाके में कोई भी नहीं जाना चाहता था। फिर भी पोंटी ने इस ठेके को लिया।”
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राजनीतिक रसूख के जरिए बढ़ता चला गया कारोबार

पोंटी चड्ढा को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का करीबी माना जाता था। लखनऊ में उनके वेब मल्टीपलेक्स का उद्घाटन भी सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था। वहीं प्रदेश में जब मायावती की सरकार बनी थी तो पोंटी ने पाला बदल लिया और तत्कालीन मायावती सरकार में उन्हें कई रियल एस्टेट परियोजनाओं के अलावा प्रदेश में शराब के रिटेल कारोबार पर अकेले ही काबिज होने का मौका मिला। मायावती सरकार में पोंटी ने राज्य चीनी निगम की पांच चीनी मिलों को 276 करोड़ रुपये में खरीदा था। इन मिलों की बिक्री की जांच पूर्व अखिलेश सरकार ने लोकायुक्त को सौंपी थी। आज चढ्डा ग्रुप का पूरा साम्राज्य 6000 करोड़ से अधिक का आंका जाता है।
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नोएडा में रखी एशिया की सबसे बड़ी टाउनशिप की नींव

पोंटी चड्ढा की सरकार में सीधी दखल की बात किसी से छिपी नहीं थी। इसे लेकर कई बार विपक्षी भी उंगली उठा चुके हैं। राजनीतिक रसूख के चलते ही नोएडा में चढ्डा ग्रुप ने दो सेक्टरों में करीब 4800 एकड़ में एशिया की सबसे बड़ी टाउनशिप कहे जाने वाली वेब हाइटेक सिटी की नींव भी पोंटी चड्ढा ने रखी थी (wave city centre)। इसके अलावा नोएडा का सबसे पॉश सेक्टर कहे जाने वाले सेक्टर-18 में बना सेंटर स्टेज मॉल (centre stage mall) का मालिक भी पोंटी चड्ढा ही था। साथ ही वेब ग्रुप ने डीएमआरसी (dmrc) की ब्लू लाइन के सेक्टर-18 और सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन (wave city center metro) को ब्रैंडिंग के लिए लीज पर ले रखा है। जिन्हें अब वेव सेक्टर-18 (wave sector-18 metro) व वेव सिटी सेंटर मे्टरो स्टेशन के तौर पर जाना जाता है।
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सामराज्य के बंटवारे को लेकर भाईयों में चली थी गोलियां, दोनों की मौत

दिन था 17 नवंबर 2012। दोपहर के करीब 12:30 बजे 59 वर्षीय शराब कारोबारी गुरदीप सिंह ‘पोंटी’ चड्ढा सुखदेव सिंह नामधारी के साथ लैंडक्रूज़र गाड़ी से छतरपुर के 42 नंबर फार्महाउस के गेट नंबर तीन पर पहुंचे। उनके साथ सुरक्षाकर्मी भी थे। इस दौरान पोंटी के छोटे भाई हरदीप भी फार्महाउस पर अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ आए। यहां बंटवारे को लेकर दोनों में कुछ कहासुनी हुई और देखते ही देखते दोनों तरफ से जमकर गोलीबारी शुरू हो गई। जिसमें पोंटी चड्ढा और उनके भाई हरदीप की मौत हो गई। पोंटी को 12 गोलयां लगी, जबकि हरदीप को चार गोलियां लगी। जबकि दो सुरक्षा कर्मी घायल भी हुए। इस दौरान नामधारी ने मामला भी दर्ज कराया था। हालांकि वह बाद में खुद ही फरार हो गया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

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