माता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना के लिए चौकी, मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला कपड़ा, मां पर चढ़ाने के लिए लाल चुनरी या साड़ी, नौ दिन पाठ के लिए ‘दुर्गासप्तशती’ किताब, कलश, ताजा आम के पत्ते धुले हुए, फूल माला या फूल, एक जटा वाला नारियल, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, सिंदूर, मौली (कलावा), चावल।
पीतल या मिट्टी का साफ दीपक, घी, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, दीपक पर लगाने के लिए रोली या सिंदूर, घी में डालने और दीपक के नीचे रखने के लिए चावल, नौ दिन के लिए हवन सामग्री, हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, चावल, जौ (जवा), धूप, चीनी, पांच मेवा, घी, लोबान, गुग्ल, लौंग का जौड़ा, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए प्रसाद की मिठाई और नवमी को हलवा-पूरी, आचमन के लिए शुद्ध जल।
एक कलश, कलश और नारियल में बांधने के लिए मौली (कलावा), 5, 7 या 11 आम के पत्ते धुले हुए, कलश पर स्वास्तिक बनाने के लिए रोली, कलश में भरने के लिए शुद्ध जल और गंगा जल, जल में डालने के लिए केसर और जायफल, जल में डालने के लिए सिक्का, कलश के नीचे रखने चावल या गेहूं, जवारे बोने के लिए मिट्टी का बर्तन, साफ मिट्टी (बगीचे की या गड्डा खोदकर मिट्टी लाएं), जवारे बोने के लिए जौ या गेहूं, मिट्टी पर छिड़कने के लिए साफ जल, मिट्टी के बर्तन पर बांधने के लिए मौली (कलावा)
इन सामग्रियों को मंगा लें और तब विधिवत देवी मां की पूजा करें। अगर आप पहली बार कलश स्थापना कर रहे हैं तो किसी पुजारी या पंडित की भी मदद ले सकते हैं। ताकि माता की पूजा में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रह जाए और मां आपकी हर मनोकामना पूरी करें।