यह भी पढ़ : IMS कॉलेज के पास लोगों ने इस हालत में देखा लड़की का शव, इलाके में सनसनी दरअसल, इस वर्ष फरवरी से अब तक मात्र 12 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई है। वहीं 30 पुरुष नसबंदी (Sterilization) के लिए चिह्नित किए गए हैं। जबकि महिलाओं का आंकड़ा कहीं आगे है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो लोगों को तरह-तरह से जागरूक किया जाता है। इसका प्रभाव महिलाओं पर तो देखने को मिल रहा है। परंतु पुरुषों में इसका अभाव देखने को मिल रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017 में 49 पुरुषों ने तो 2928 महिलाओं ने समझदारी दिखाते हुए नसबंदी कराई। वहीं वर्ष 2018 में 50 पुरुष और 3181 महिलओं ने नसंबदी कराई। इस वर्ष 2019 में अभी तक 12 पुरुष और 562 महिलाओं ने नसबंदी कराई है।
जिला अस्पताल से पुरुष व महिलाएं लेकर जा रही कंडोम जिला अस्पताल के मुताबिक यहां आने वाले लोग पुरुष परिवार नियोजन केंद्र से बेझिझक होकर 2 से 3 पैकेट कंडोम लेकर जाते हैं। रोजाना लगभग 70 पुरुष और 30 महिलाएं यहां से कंडोम लेकर जाते हैं। ये कंडोम निशुल्क व अस्पताल के पर्चे को दिखाए बिना ही दे दिए जाते हैं।
महिला व पुरुषों की होती है कांउसलिंग परिवार नियोजन काउंसलर सीमा कुमारी बताती हैं कि उनके द्वारा परिवार नियोजन के अस्थायी उपाय से अधिक स्थायी उपाय पर जोर दिया जाता है। नसबंदी को लेकर महिला व पुरुष दोनों की ही काउंसलिंग की जाती है। अगर लोग नसबंदी के लिए राजी नहीं होते तब उन्हें अस्थायी उपाय जैसे कॉपर टी, छाया की गोली और अंतरा के इंजेक्शन के बारे में जानकारी दी जाती है।
लोगों को किया जा रहा जागरूक सीएमओ डॉ अनुराग भार्गव ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे महिलाएं तो आसानी से नसबंदी करा लेती हैं। लेकिन पुरुषों में नसबंदी कराने को लेकर अभी भी जागरुकता का अभाव देखने को मिल रहा है। 11 से 31 जुलाई तक मनाए जाने वाले पखवाड़े में 30 पुरुषों को चिह्नित किया गया है, जिनकी नसबंदी कराई जाएगी।