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ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों के बुरे वक्त को शांत करने, जीवन में तरक्की के रास्ते खोलने और विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्यों में आ रही रूकावटों को दूर करने के लिए आपको बस एक लोटा जल का इस्तेमाल बताए गए नियमों के मुताबिक करना है। जल का प्रयोग अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरीके से किया जाता है। नोएडा निवासी आचार्य विनोद शास्त्री के मुताबिक जल जहां भगवान शिव की सबसे प्रिय वस्तु है तो वहीं पीपल में जल चढ़ाने से भगवान विष्णु व लक्ष्मी मैय्या की असीम कृपा भी प्राप्त होती है।पूर्व सीएम
कल्याण सिंह की सुपारी लेने वाले इस डॉन को सिंघम ने बॉलीवुड स्टाइल में ऐसे दी थी मौत पहला उपायग्रहों की शांति के लिए जन्म कुंडली में यदि कोई ग्रह बुरा प्रभाव दे रहा हो तो किसी भी अच्छे भले व्यक्ति को घर बैठे अनेक परेशानियां घेर लेती हैं। इसमें ज्यादातर व्यक्ति लगातार बीमार होने लगता है। बीमारियों के इलाज में पैसा भी अधिक खर्च होता है। किसी ऐसे अनचाहे कार्यों में धन खर्च होने लगता है जहां आपने सोचा भी नहीं होगा। यदि आपके जीवन में भी ऐसा हो रहा है तो आप भी अपने सिरहाने रात में सोते समय एक लोटा जल भरकर रखें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त (3 बजे के बाद से सूर्योदय तक होने से पहले तक) में उठकर इस जल को चुपचाप बाहर जाकर फेंक दें। वापस आते समय पीछे मुड़कर न देखें। इससे ग्रहों की पीड़ा शांत होती है।
यदि आप मानसिक रूप से बहुत परेशान चल रहे हैं तो मन की शांति के लिए भी ज्योतिष शास्त्र में जल द्वारा उपाय सुझाय गया है। जैसे कि छात्र-छात्राएं अक्सर परीक्षा के दिनों में तनाव में आ जाते हैं तो वहीं नौकरीपेशा व्यक्तियों को ऑफिस में कोई समस्या आ जाती है जिससे वे तनाव महसूस करते हैं। इससे मुक्ति पाने के लिए आप प्रत्येक सोमवार को एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें और इसमें लाल गुड़हल का फूल डालकर इस जल को काले पत्थर के शिवलिंग पर चढ़ाएं। यह उपाय हर सोमवार को लगातार करते रहें। इससे कुछ ही दिनों में आपको मानसिक सुख-शांति अनुभव होने लगेगा। समस्याएं अपने आप खत्म होती जाएंगी और आप सुखद अनुभव करेंगे।
आर्थिक तंगी के कारण अगर आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो समृद्धि के लिए आप उपाय कर सकते हैं। जैसे अगर आपका पैसा आय के मुकाबले अधिक खर्च हो रहा है। पैसे की बचत नहीं हो पा रही है। व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है। बीमारियों पर धन अधिक खर्च हो रहा है तो आपको यह प्रयोग करना है। शनिवार को प्रातः स्नान करके एक तांबे के लोटे में ताजा जल भरें। इसमें एक बताशा और थोड़ा सा कच्चा ताजा दूध मिलाकर यह जल पीपल के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।