किसान के बेटे ने कर दिया कमाल- मेरठ में कालीना गांव में स्थित एक किसान के बेटे चौधरी ने जापान के 42 वर्षीय मत्सुदा ने 23 वें शॉट मिस्फायर किया। इस किर्ती के साथ ही सौरभ ने अपने सनसनीखेज प्रयास के साथ एक गेम रिकॉर्ड भी स्थापित किया, सौरभ ने अपने आखिरी दो शॉट में 10.2 और 10.4 निशाना लगाया जबकि जापानी के आखिरी दो शॉट 8.9 और 10.3 थे। जिसके बाद सौरभ ने बाजी मार ली।
सौरभ को खेती करना है पसंद- सौरभ का सफर यहीं नहीं रुकेगा उनका कहना है कि इस गेम के बाद वो विश्व चैंपियनशिप हिस्सा लेंगे। इतनी ही नहीं सौरभ चौधरी का अगला लक्ष्य है, 2020 टोक्यो ओलंपिक में देश को गोल्ड मेडल दिलाना। अभी तक सिर्फ अभिनव बिंद्रा ही ऐसा कर पाए हैं. बिंद्रा ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड जीता था। सौरभ बहुत शांत नेचर के हैं उन्होंने बताया कि उन्हें खेती करना पसंद है। उनका कहना है कि प्रशिक्षण से ज्यादा समय नहीं मिलता है, लेकिन जब भी अपने गांव जाते हैं (कलिना) तो अपने पिता की मदद करते हैं।
माता-पिता को था विश्वास- वहीं सौरभ की जीत के बाद उनके माता-पिता के खुशी का ठिकाना नहीं हैं। सौरभ के पिता जगमोहन सिंह साधारण किसान है। जबकि माता ब्रजेश देवी गृहिणी है। सौरभ के परिवार में कोई भी शूटिंग का खिलाड़ी नहीं है। उनका कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर विश्वास था की वो देश के लिए कोई न कोई मेडल जरुर जीत कर आएगा। बागपत के जिस शूटिंक रेंज में वह प्रैक्टिस करते थे वहां भी जश्न का माहौल है।
गुब्बारों पर निशाना लगा कर बन गया चैंपियन- सौरभ की इस उपल्बिधी के बाद हर ओर जश्न का माहौल है लोग उनके परिवार को बधाई दे रहे हैं। उनके बड़े भाई नितिन ने बताया कि सौरभ को बचपन से ही निशाने लगाने का शौक था। वह गांव और आसपास लगने वाले मेलों में जाकर गुब्बारों पर निशाना लगाता था और वहां से इनाम जीतकर लाता था। लेकिन उसकी बढती रूची को देखते हुए 2015 में सौरभ 13 साल का था तब उसने पहली बार शूटिंग की प्रैक्टिस शुरू की थी। उनके भाई ने बताया कि बड़ौत के पास बिनौली में वीरशाहमल राइफल क्लब में प्रैक्टिस शुरू की।