यह भी देखें: बुढ़ापे का सहारा बनेगी LIC की ये स्कीम, सिर्फ एक बार देना हाेगा प्रीमियम फिर जीवनभर मिलेगी पेंशन ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद शास्त्री की मानें तो थोड़ी सी सतर्कता अगर बरती जाए तो असली व नकली रत्न की पहचान आसानी से की जा सकती है।ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि बाजार में कई तरह के वैकल्पिक रत्न उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन इन्हें खरीदने या धारण करने से पहले इनकी जांच जरूरी है कि यह असली है या नहीं। क्योंकि नकली या गलत रत्न पहनने से जीवन पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए थोड़ा सतर्क रहना जरूरी है। हमारे शास्त्रों में मान्यता है कि कुंडली में मौजूद कमजोर ग्रह को रत्न मजबूत करता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक तत्व होता है और रत्न में सात अलग-अलग रंग पाए जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि रत्न पर जब सूर्य की रोशनी पड़ती है तो प्राकृतिक होने की वजह से वह रत्न को छूते हुए शरीर में प्रवेश करती है और इससे व्यक्ति के मन मस्तिष्क और संचार प्रभावित होता है।
यह भी देखें: राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने दिया ये बयान आइए जानते हैं कैसे करें नकली और असली की पहचान- – मेथलीन आयोडाइड केक घोल में रत्न डालने पर नकली वाला उसमें टहलने लगता है। वहीं जो असली रत्न होगा व सतह पर नहीं आता।
-प्राकृतिक रत्नों के कण एक समान ना होकर विभिन्न आकारों में और अनियमित रूप में होते हैं। कृतिम या नकली रत्नों में यह वक्र के रूप में दिखाई देते हैं। – कृतिम रत्नों में अंदर की धारिया वक्र रूप में होती हैं जबकि प्राकृतिक या नकली रत्नों में यह सीधी होती हैं।
-रेशम या प्रकाशीय प्रभाव केवल प्राकृतिक रत्नों में ही दिखाई देता है नकली रत्नों में यह दिखाई नहीं देता। – कृतिम रतन का रंग एक जैसा होता है जबकि प्राकृतिक में यह विभिन्न रंगों में अलग अलग दिखाई देता है।