eid ul fitr : ईदगाह में बोले शहरकाजी,’मुस्लिमों ने देश के लिए कुर्बानी दी, आज माहौल अच्छा नहीं’
इस दौरान तरुण राज अरोड़ा ने बताया कि किताब को लिखने में छह महीने का समय लगा। इसमें अनुसंधान, अध्ययन तथा लेखन में पूरी तरह से कार्यरत थे। तरुण ने कहा कि किताब की सार्थकता तभी होगी जब पाठक अपने जीवन में इस किताब से ली गयी सीख को उतार सकेंगे। तरुण राज अरोड़ा ने अपनी किताब ‘हार के उस पार’ को अपने पिता देहदानी मुल्क राज अरोड़ा समर्पित किया।