करगिल: 52 वीरों ने किए प्राण न्योछावर शांडिल ने कहा कि प्रदेश को वीर भूमि होने का श्रेय प्राप्त करने में हिमाचल के वीर सपूतों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। जब भी देश को आवश्यकता हुई है, यहां के वीर जवानों ने अभूतपूर्व सैन्य परम्पराओं का निर्वहन करते हुए साहस और पराक्रम का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि वेदों में राष्ट्र धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। राष्ट्र धर्म के लिए प्राणों की बलि देना पूजनीय है। उन्होंने कहा कि सैनिक प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं रहे हैं। करगिल युद्ध में हिमाचल के 52 वीरों ने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। हमें उनके बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए।
तीन महीने घमासान, पाकिस्तान पर विजय उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति से आज तक हिमाचल प्रदेश के लगभग 1714 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हमेशा अपने देश की सीमा पर तैनात रहती है और दुश्मन देश की सेना हमेशा घुसपैठ करने की कोशिश में लगी रहती है। ऐसी ही घटना 1999 में हुई, जब पाकिस्तान ने करगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया। परन्तु भारतीय सेना ने हजारों फुट ऊंचाई पर चढ़ाई करके दुश्मन की सेना को खदेड़ा और जमीन को कब्जे से वापिस लिया। लगभग तीन महीने तक दोनों देशों के बीच घमासान युद्ध हुआ और भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की। तब से हर साल भारत में 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस साल हम करगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
इनका किया सम्मान करगिल युद्ध में शहीद ग्रेनेडियर नरेश कुमार की पत्नी शकुंतला (शिमला) और शौर्य चक्र सम्मानित बलिदानी राइफलमैन कुलभूषण मांटा की पत्नी नीतू कुमारी शिमला तथा शहीद लांस नाइक किशोरी लाल की पत्नी प्रवीण कुमारी को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। इसके साथ ही करगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया। इनमें सूबेदार रतन सिसोदिया, सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा, सूबेदार मेजर शाम लाल शर्मा, सूबेदार मेजर कैलाश चौहान, सूबेदार वेद प्रकाश शर्मा, हवलदार लक्ष्मी दत्त शर्मा, हवलदार राम लाल, हवलदार प्रवीण, सूबेदार राम लाल शामिल रहे।