टॉक शो में इन्होने लिया हिस्सा पत्रिका के टॉक शो में प्रदेश संयुक्त सचिव राजकुमार मेलाना, प्रांतीय उपाध्यक्ष महेश हुरकट, प्रांतीय संयुक्त सचिव अजय मूंदड़ा, शिव प्रकाश झंवर, भीलवाड़ा इकाई अध्यक्ष शंभू प्रसाद काबरा, उपाध्यक्ष सुरेश कोगटा, अनूप बागरोदिया, हरि प्रसाद अग्रवाल, पुरुषोत्तम अग्रवाल, लक्ष्मी लाल तिवारी, अजय अग्रवाल, केके जिंदल, सत्यनारायण झंवर, रवि कालरा आदि उद्यमियों ने हिस्सा लिया।
यह है उम्मीद - रीको की ओर से नीलामी के बजाय 90 प्रतिशत भूमि आरक्षित दर पर पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दी जाए।
- रीको में औद्योगिक भूमि विस्तार एवं रियायती दरों पर भूखंड दिए जाने चाहिए तथा सभी औद्योगिक क्षेत्र मे सीवरेज की व्यवस्था की जाए।
- प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने के लिए रीको क्षेत्र में अन्नपूर्णा रसोई, शौचालय, मेडिकल डिस्पेंसरी की व्यवस्था की जाए।
- भूमि रूपान्तरण के नियम सरल किए जाए।
- राजस्थान के कच्चे खनिज बाहर जा रहे है। टाइल्स के उद्योग प्रदेश में ही लगे, इसके लिए गैस व सस्ती बिजली की व्यवस्था की जाए।
- रंगाई छपाई के लिए कपड़ा महाराष्ट्र से आ रहा है। प्रदेश में ही कपड़ा बनाने के उद्योग लगे, इसके लिए सस्ती बिजली की व्यवस्था की जाए।
- सोलर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए उपरी (कैप) सीमा हटाई जाए। कैपटिव पॉवर का ट्रासंमिशन चार्जेज 1.80 से प्रति यूनिट से घटाकर 1 रुपए प्रति यूनिट किया जाए।
- बिजली विभाग की ओर से 50 वर्ष से विद्युत कैटेगरी में बदलाव नहीं किया है। छोटे उद्योगों की सीमा 25 एचपी से बढ़ाकर 60 एचपी व मध्य उद्योग की सीमा 61 एचपी से बढ़ाकर 250 एचपी तक की जाए।
- पर्यावरण अनापति के नियमों का सरलीकरण किया जाए।
- बाहर के निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रत्येक प्रोजेक्ट का नोडल ऑफिसर तय किए जाएं और नोडल ऑफिसर ही सभी विभागों से समन्वय करे।
- बार-बार लगने वाले फ्यूल सरचार्ज को खत्म किया जाए।
- निर्यात प्रोत्साहन के लिए 2 से 2.5 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाए।
- शहर में आबादी व परिवहन का दबाव कम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले उद्योगों को विशेष पैकेज दिया जाए।
- गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए गो उत्पादों के प्रोत्साहन की विशेष योजना बनाई जाए।
- प्रदेश के उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए एक उत्पाद एक तहसील योजना को मूर्त रूप दिया जाए।
- अवैध खनन रोकने के लिए रॉयल्टी दरें कम की जाए।
- बरसात के समय खदानों में अरबों-खरबों लीटर पानी भर जाता है। इस पानी का संरक्षण कैसे हो, इसकी योजना बनाई जाए।