सरकारी स्कूलों के लिए कड़े दिशा-निर्देश परिपत्र के अनुसार, केवल अधिकृत चिकित्सा दल, जैसे कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य निदेशालय से ही छात्रों की स्वास्थ्य जांच कर सकते हैं। छात्र मुख्य शिक्षा अधिकारी की अनुमति के बिना प्रतियोगिताओं सहित बाहरी कार्यक्रमों में भाग नहीं ले सकते। यदि प्रधानाध्यापक गैर-सरकारी कर्मियों को छात्रों को पढ़ाने या उनके साथ नकारात्मक बातचीत करने की अनुमति देते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। परिपत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि शिक्षकों को छात्रों के व्यक्तिगत मामलों पर चर्चा नहीं करनी चाहिए या बातचीत के दौरान दोहरे अर्थ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह दिशा-निर्देश स्वयंभू आध्यात्मिक-सह-प्रेरक वक्ता महाविष्णु द्वारा चेन्नई के एक स्कूल में दिए गए अपने व्याख्यान से विवाद खड़ा करने के बाद आया है, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि छात्रों के संघर्ष उनके पिछले जन्म के कर्मों के कारण हैं।