लगातार काम से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर
गौरतलब है कि तमिलनाडु और केरल में लोको पायलटों के एक समूह ने आरोप लगाया है कि ड्राइवरों की कमी के कारण उन्हें साप्ताहिक अवकाश और छुट्टियाँ नहीं दी जा रही हैं और उन्हें लगातार 3 से 4 दिनों तक रात की शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। लगातार काम करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। निश्चित रूप से यह यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकता है।
अधिसूचित रिक्तियों में 508 की वृद्धि
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में जारी एक आदेश में भारतीय रेलवे के शीर्ष निकाय ने सहायक लोको पायलट के पद के लिए अधिसूचित रिक्तियों में 508 की वृद्धि की है। आदेश के मुताबिक दक्षिण रेलवे में ट्रेन ड्राइवरों के लिए 218 पद रिक्त घोषित किए गए थे और क्षेत्रीय रेलवे के अनुरोध के बाद अब यह संख्या बढ़ा दी गई है। रेलवे बोर्ड के भर्ती निदेशालय की ओर से जारी एक निर्देश में कहा गया है कि ‘क्षेत्रीय रेलवे को लोको पायलट रिक्तियों में वृद्धि के लिए संशोधित मांग को संसाधित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। यह आरआरबी/बैंगलोर के परामर्श से किया जाना चाहिए, जो इस पत्र के जारी होने की तारीख से एक सप्ताह की अवधि के भीतर इसे अंतिम रूप देने के लिए समय सीमा प्रदान करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे।’
जरुरत से ज्यादा काम का बोझ दुर्घटना की वजह
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन से जुड़े एक वरिष्ठ लोको पायलट ने कहा कि ‘रेलवे बोर्ड के सीईओ ने पश्चिम बंगाल में रंगापानी स्टेशन के पास दुर्घटना के लिए पहले मालगाड़ी के लोको पायलट को सिग्नल जंपिंग के लिए दोषी ठहराया। हालांकि जल्द ही यह साबित हो गया कि स्टेशन मास्टर ने उन्हें लाल सिग्नल पार करने के लिए अधिकृत किया था। इसके बाद उसे ओवरस्पीडिंग के लिए दोषी ठहराया गया। दरअसल पिछले साल 18 अप्रैल से हुई अन्य सभी दुर्घटनाओं के लिए संबंधित लोको पायलटों को या तो 14 घंटे से अधिक समय तक काम पर रखा गया था या उन्हें लगातार तीसरे या चौथे दिन रात की शिफ्ट में काम करना पड़ा था।’
दिया जा रहा है लोको पायलटों को साप्ताहिक आराम
इधर दक्षिण रेलवे के अधिकारियों ने लोको पायलटों को साप्ताहिक आराम नहीं देने के आरोपों से इनकार करते हुए बड़ी संख्या में ड्राइवरों के अपने मूल राज्यों में पलायन करने को इन रिक्तियों का जिम्मेदार ठहराया। एक अधिकारी ने बताया कि ‘रेलवे, नियमित अंतराल पर मौजूदा और प्रत्याशित रिक्तियों के आधार पर ड्राइवरों की भर्ती और नियुक्ति करता है। तमिलनाडु और केरल में कार्यरत अन्य राज्यों के कई ड्राइवर पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद स्थानांतरण के लिए आवेदन करते हैं। इस पलायन के कारण अक्सर कुछ डिवीजनों में रिक्तियां हो जाती हैं। दरअसल इसकी भरपाई के लिए ही अन्य को ड्यूटी के लिए रोस्टर किया जाता है। इसके अलावा त्योहारों के दौरान जब दूसरे राज्यों के कर्मचारी छुट्टी पर चले जाते हैं, तब स्थानीय कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है।’ उनके मुताबिक जल्द से जल्द इन रिक्तियों को भरने का प्रयास किया जा रहा।