बाजारों में रही रौनक निर्जला एकादशी को लेकर शहर के विभिन्न बाजारों में विशेष रौनक रही। आम, ओळा, सेवइयां, मिट्टी से बनी मटकी, पंखी, एकादशी व्रत सामग्री की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ रही। दान-पुण्य सहित घर-घर में उपयोग के चलते बड़ी मात्रा में आम की बिक्री हुई। सिंघाड़ा आटा, सांख, मूंगफली, एकादशी में उपयोग के चिप्स इत्यादि की दुकानों पर रात तक खरीदारी चलती रही। वहीं मावा, छैना व दूध से बनी मिठाइयों की बिक्री भी हुई।
सेवादार तैयार, करेंगे दिनभर सेवा निर्जला एकादशी पर शीतल जल, पेय पदार्थों की सेवा की विशेष परंपरा है। मंगलवार को गली-मोहल्लों से चौक-चौराहो, बाजारों, मुख्य मार्गों, कॉलोनी क्षेत्रों आदि में बच्चों, युवाओं की मंडलियों और संगठनों की ओर से सेवा शिविर लगाकर शीतल जल, गन्ना रस, छाछ, दूध-दही लस्सी, आईसक्रीम, कुल्फी, मिल्क रोज, गुलाब, केसर सहित विभिन्न प्रकार के शर्बत, नींबू शिकंजी, ठंडाई, बिल इत्यादि के शिविर लगाकर निशुल्क सेवाएं दी जाएगी। सेवादार रात तक तैयारियों में जुटे रहे।
मंदिरों में होंगे दर्शन-पूजन निर्जला एकादशी पर श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन-पूजन करेंगे। ठाकुरजी के आम, ओळा, सेवइयां, शर्बत का विशेष भोग अर्पित किया जाएगा। नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचेंगे। यहां मेले सा माहौल रहेगा। सेवा संस्थाओं की ओर से यहां जल, शर्बत इत्यादि की सेवाएं दी जाएगी।
एकादशी व्रत का विशेष महत्व ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी को निर्जला एकादशी पर्व मनाया जाता है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार मान्यता अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सम्पूर्ण एकादशियों के व्रतों के फल की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रात:काल भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन करके पुरुष सूक्त से अभिषेक करना चाहिए। ऊ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना, विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। मिट्टी के कलश में जल भरकर दक्षिणा सहित दान करना श्रेष्ठ रहता है। पंडित किराडू के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत कर अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखी, फल आदि का दान करना चाहिए। इस दिन जल का दान करने से वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। एकादशी के व्रत का धर्मशास्त्रों में अत्यधिक महत्व बतलाया गया है। इस व्रत से समस्त पापों का नाश होता है। इस दिन एकादशी व्रत कथा तथा भगवान का कीर्तन करना चाहिए।