स्कूली बच्चों की पढ़ाई में शामिल हो पंचकोश और पंचादि
Unicef’s new report about children future
भोपाल. दुनिया तेजी से बदल रही है। स्टूडेंट्स के समक्ष ग्लोबल चुनौतियां हैं। इसलिए पढ़ाई की तकनीक भी बदलनी होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 भी यही कहती है। डे-टू-डे की लर्निंग में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग शामिल किया जाना चाहिए। इसी तरह न्यू लर्निंग एंड टीचिंग मेथड में पंचकोश विकास और पंचादि कांसेप्ट को शामिल करना जरूरी हैं ताकि बच्चों का ओवर ऑल डेवलपमेंट हो सके। यह बातें शनिवार को शिक्षकों के लिए आयोजित एक प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम में निकल कर आईं।
“एंगेज, एक्सप्लोर, एंपावर” वर्कशाप में प्राथमिक स्तर की मूलभूत शिक्षा के लिए शिक्षकों को गतिशील बनाने और विद्यार्थियों पर फोकस करने वाला पढ़ाई का माहौल बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया ने भोपाल सहोदय कॉम्प्लेक्स के साथ मिलकर इसे आयोजित किया।
एक जगह बैठकर न पढ़ाएं
नर्मदापुरम से आईं जूही चटर्जी ने बताया कि वर्कशॉप में जाना कि टीचर्स को क्लास में एक जगह पर बैठ कर नहीं पढ़ाना चाहिए, इससे बच्चों की लर्निंग पर फर्क पढ़ता है। बच्चों को स्माइल के साथ पढ़ाना चाहिए जिससे वे अट्रैक्शन के साथ पढ़ें। साथ ही बच्चों को किसी न किसी एक्टिविटी के माध्यम से सिखाया जाए।
लर्निंग-बाय-डूइंग पर फोकस
गंज बासौदा की शिक्षक सौम्या भारद्वाज ने बताया कि बच्चों की डेली लर्निंग में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग का होना जरूरी है। जैसे कि कुछ पढ़ा रहे हैं, तो इसमें कोई एक्टिविटी शामिल करें। मैथ, आइडेंटिफिकेशन जैसे सब्जेक्ट्स को विभिन्न एक्टिविटीज के माध्यम से पढ़ा सहते हैं। क्लासरूम मैनेजमेंट के तहत टीचर्स को पढ़ाते समय बच्चों की अटेंशन पर भी ध्यान देना जरूरी है। बच्चों असेसमेंट सिर्फ पेन और पेपर से न परखा जाए, बल्कि इसके लिए गेमिंग मेथड और अन्य इंटेलेक्चुअल तरीके भी अपनाएं क्योंकि आज की जनरेशन का लर्निंग-बाय-डूइंग पर फोकस है।
इंटरैक्टिव एक्टिविटीज जरूरी
सारिका जैन ने बताया कि बच्चों का फोकस सिर्फ एक लर्निंग पर नहीं करना चाहिए। बल्कि स्किल्स डेवलपमेंट एक्टिविटीज पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों में आपस में समन्वय बने इसके लिए ग्रुप डिस्कशन और अन्य इंटरैक्टिव एक्टिविटीज आयोजित करनी चाहिए। बच्चों को वैल्यूज सिखाना बहुत जरूरी है, कि वे जिन्हें जानते हैं सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि सभी से कैसे व्यवहार करना है।
पंचकोश विकास और पंचादि पढ़ाई के नए कांसेप्ट
बैरागढ़ की पिंकी ददलानी ने बताया कि स्टूडेंट्स चीजों पर अपनी पकड़ जल्दी बनाएं इसके लिए पंचकोश विकास और पंचादि जैसे पढ़ाई के कांसेप्ट पर काम करना चाहिए।पंचादि यानि फाइव स्टेप लर्निंग। इसमें अदिति, बोध, अभ्यास, प्रयोग और प्रसार सीखने के पांच कदम हैं। इनका पूरा फोकस बच्चों की थिंकिंग स्किल्स, इमोशनल और सोशल स्किल्स पर रहता है। पढ़ाई के साथ-साथ वे अन्य एक्टिविटीज में भी शामिल हो जिससे उनका ओवर ऑल डेवलपमेंट हो।
पंचकोश कांसेप्ट को ऐसे समझें-
एजुकेशन और लर्निंग के नए ढांचे में 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों की शिक्षा के लिए पांच रूपरेखा की अवधारणा शामिल हैं।
- शारीरिक विकास
- जीवन ऊर्जा का विकास (प्राणिक विकास)
- भावनात्मक और मानसिक विकास
- बौद्धिक विकास
- आध्यात्मिक विकास
पंचादि- 5 स्टेप लर्निंग प्रोसेस - अदिति,
- बोध
-अभ्यास
-प्रयोग
-प्रसार
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