scriptअनदेखी: पांच कृषि उपज मंडियां चल रहीं सिर्फ कागजों में, दूसरे जिले में अनाज बेचने को मजबूर किसान | Patrika News
समाचार

अनदेखी: पांच कृषि उपज मंडियां चल रहीं सिर्फ कागजों में, दूसरे जिले में अनाज बेचने को मजबूर किसान

गुनौर उप मंडी में हो रही डाक नीलामी, उसी से निकल रहा कर्मचारियों का वेतन पन्ना. जिले के किसानों को अपनी कृषि उपज बेचने दूर न जाना पड़े, उन्हें अपने ही ब्लॉक में फसल का उचित दाम मिल सके, इसके लिए जिले में पांच कृषि उपज मंडियों की स्थापना की गई थी, लेकिन इनमें से […]

पन्नाNov 06, 2024 / 06:54 pm

Anil singh kushwah

पांच कृषि उपज मंडियां चल रहीं सिर्फ कागजों में

पांच कृषि उपज मंडियां चल रहीं सिर्फ कागजों में

गुनौर उप मंडी में हो रही डाक नीलामी, उसी से निकल रहा कर्मचारियों का वेतन

पन्ना. जिले के किसानों को अपनी कृषि उपज बेचने दूर न जाना पड़े, उन्हें अपने ही ब्लॉक में फसल का उचित दाम मिल सके, इसके लिए जिले में पांच कृषि उपज मंडियों की स्थापना की गई थी, लेकिन इनमें से एक भी मंडी में अनाज का क्रय-विक्रय नहीं हो रहा। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से जिले की पांचों मंडियां बीते दो दशक से कागज में चल रही हैं। इसका परिणाम यह है कि जिले में पांच मंडियां होने के बावजूद किसान दूसरे जिले में उपज बेचने को मजबूर हैं।
5 मंडियां, 10 कर्मचारी
जिले की मंडियों को संचालित करने मंडी बोर्ड कितना गंभीर है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिले की 5 मंडियों में जहां 50 कर्मचारी नियुक्त होना चाहिए, उनमें सिर्फ 10 कर्मचारी तैनात हैं। देवेन्द्रनगर और अजयगढ़ मंडी में एक भी कर्मचारी नहीं है। इन मंडियों में कागजी खानापूर्ति के लिए पन्ना मंडी के दो कर्मचारियों को अटैच किया गया है।
सिर्फ गुनौर में डाक
जिले में पांच कृषि उपज मंडियां हैं। इनमें कृषि उपज मंडी समिति पन्ना, अजयगढ़, देवेन्द्र नगर, सिमरिया तथा कृषि उपज मंडी पवई शामिल हैं, लेकिन इनमें से एक भी मंडी में अनाज की डाक नीलामी नहीं होती। यह सभी मंडियां वर्षों से सिर्फ कागज में संचालित हो रही है। वहीं पन्ना मंडी समिति की उप मंडी गुनौर जिले की इकलौती उप मंडी है, जहां अनाज की डाक नीलामी हो रही है। इसी मंडी की आय से पन्ना मंडी के कर्मचारियों का वेतन निकल रहा है।
50 साल से कागज में चल रही पन्ना मंडी
अजयगढ़ चौराहे के पास स्थित कृषि उपज मंडी समिति पन्ना की स्थापना मंडी बोर्ड द्वारा 1974 में की गई थी। इस मंडी में अनाज विक्रय के लिए चबूतरा, व्यापारियों के लिए गोदाम तथा किसानों के लिए विश्रामगृह भी है, लेकिन अनाज की डाक नीलामी पांच दशक बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाई। मंडी बंद होने के कारण मंडी परिसर का उपयोग वाहन चालक पार्किंग के रूप में हो रहा है।
अधिकारी बोले
कृषि उपज मंडी पन्ना से लगा 70 फीसदी एरिया वन भूमि है। इसलिए इस मंडी में अनाज की आवक ही नहीं होती। अजयगढ़ और देवेन्द्रनगर मंडी क्षेत्र में खेती होती है, लेकिन इन मंडियों में उचित व्यवस्था न होने के कारण क्षेत्र के किसानों को भाव नहीं मिलते। इसलिए वह नागौद मंडी चले जाते हैं।
-राज कुमार द्विवेदी, सचिव कृषि उपज मंडी समिति पन्ना

Hindi News / News Bulletin / अनदेखी: पांच कृषि उपज मंडियां चल रहीं सिर्फ कागजों में, दूसरे जिले में अनाज बेचने को मजबूर किसान

ट्रेंडिंग वीडियो