scriptअनदेखी: जिला अस्पताल का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दो साल से ठप, प्रदूषित पानी से खतरा, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर | Neglect: District hospital's sewage treatment plant is out of order for two years, polluted water is a threat, impact on environment and health | Patrika News
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अनदेखी: जिला अस्पताल का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दो साल से ठप, प्रदूषित पानी से खतरा, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर

जिला अस्पताल परिसर में स्थित एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा हुआ है, जिससे अस्पताल के दूषित पानी का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।

छतरपुरJan 12, 2025 / 10:23 am

Dharmendra Singh

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खराब पड़ा एसटीपी और चारों ओर गंदा पानी

छतरपुर. जिला अस्पताल परिसर में स्थित एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पिछले दो वर्षों से बंद पड़ा हुआ है, जिससे अस्पताल के दूषित पानी का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में स्थित इन दोनों प्लांट्स की स्थापना 2018 में की गई थी, ताकि पैथोलॉजी और एक्स-रे यूनिट से निकलने वाले जहरीले पानी का उपचार किया जा सके। इस परियोजना पर 1 से 1.25 करोड़ रुपए की लागत आई थी, लेकिन इसकी सही तरीके से मेंटेनेंस न होने के कारण यह प्लांट अब बेकार पड़ा है।

नालियों से तालाब में जा रहा जहलीरा पानी


प्राप्त जानकारी के अनुसार, अस्पताल परिसर से निकलने वाला गंदा पानी सीधे नालियों के माध्यम से किशोर सागर तालाब में पहुंच रहा है, जिससे तालाब में प्रदूषण फैल रहा है। किशोर सागर तालाब का पानी दूसरे शहर के तालाबों में भी जाता है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि लोगों की सेहत पर भी प्रतिकूल असर पडऩे का खतरा है। इस प्रदूषित पानी का निस्तारण न होने से अस्पताल के चारों ओर भी यह जहरीला पानी ओवरफ्लो होकर जमा हो गया है, जिससे बीमारी फैलने का खतरा और बढ़ गया है।

दूषित पानी से तरह-तरह के खतरे


अस्पताल में उत्पन्न होने वाला यह पानी, विशेष रूप से पैथोलॉजी और एक्स-रे यूनिट से निकलने वाला पानी, संक्रामक रोगों का कारण बन सकता है। इसमें वायरल एजेंट जैसे हेपेटाइटिस वायरस, एचआईवी, एंटरो वायरस और सल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया तथा हैजा, पेचिश और फंगल प्रदूषण जैसे संक्रमण हो सकते हैं। यदि यह पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे जलाशयों और नालियों में जाता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। अस्पताल में ट्रीटमेंट प्लांट का न होना, खासकर एसटीपी बंद होने के कारण, इस पानी का शोधन नहीं हो पा रहा है। इसका परिणाम यह है कि पैथोलॉजी लैब से निकलने वाला वायरस मिश्रित पानी सीधे खुले स्थानों पर पहुंच रहा है, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना बढ़ गई है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट क्या करता है


सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) एक ऐसी तकनीकी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य दूषित जल को शुद्ध करना है। इसमें भौतिक, रासायनिक और जैविक विधियों से जल को साफ किया जाता है, ताकि इसका पुन: उपयोग किया जा सके। एसटीपी के माध्यम से अस्पताल का दूषित पानी एकत्रित किया जाता है और उसे साफ करने की प्रक्रिया तीन चरणों में होती है। ठोस पदार्थ का पृथक्करण, जैविक और रासायनिक पदार्थ का शोधन और शुद्ध जल का पुन: उपयोग का चरण होता है। इसके बाद शुद्ध जल को तालाबों या जलाशयों में छोड़ा जाता है, जिससे जल स्रोतों को शुद्ध रखा जाता है और पर्यावरण में कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता।

बार बार अधिकारियों को दी गई जानकारी


अस्पताल के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के बंद होने के बाद इस बारे में कई बार मेंटेनेन्स के लिए कर्मचारियों द्वारा सिविल सर्जन को पत्र लिखा गया, लेकिन अब तक सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। अस्पताल के चारों ओर जमा हुए इस प्रदूषित पानी के कारण स्वास्थ्य पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। एसटीपी के संचालन में आई तकनीकी कमियों के कारण यह प्लांट अब काम नहीं कर रहा है, और प्रदूषित पानी सीधे तालाबों में जा रहा है, जिससे एक गंभीर पर्यावरणीय संकट पैदा हो रहा है।

सिविल सर्जन बोले-


इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने कहा कि “सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में कुछ तकनीकी कमियां हैं, इस कारण वह बंद पड़ा है। अगर कोई प्रदूषित पानी तालाबों में जा रहा है, तो हम तत्काल जांच करेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे। अस्पताल परिसर से निकलने वाले पानी का उपचार किया जाना बेहद आवश्यक है, ताकि इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या से बचा जा सके।

पत्रिका व्यू


अस्पताल में स्थापित एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बंद रहने से नगर के प्रदूषण स्तर में वृद्धि हो रही है और यह स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर रहा है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो यह शहर के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। अस्पताल प्रशासन को जल्द से जल्द इन प्लांट्स की मरम्मत और चालू स्थिति में लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि प्रदूषित पानी का निस्तारण सही तरीके से हो सके और शहरवासियों के स्वास्थ्य को खतरा न हो।

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