विद्यार्थियों व भामाशाहों की राय होगी अहम
महात्मा गांधी स्कूलों का माध्यम बदलने में प्रवेशित विद्यार्थियों व उससे जुड़े भामाशाहों, दानदाताओं, शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार की भूमिका भी अहम रहेगी। विभाग स्कूल को अंग्रेजी या हिंदी माध्यम में संचालित होने की मंशा पूछेगा। जिन्हें हिंदी व अंग्रेजी माध्यम के पक्ष आधार पर अलग- अलग प्रदर्शित करते हुए रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके अलावा नजदीकी हिंदी, अंग्रेजी व विवेकानंद मॉडल स्कूलों की दूरी भी इसमें महत्वपूर्ण रहेगी।
38 बिंदू तय करेंगे भविष्य
महात्मा गांधी स्कूलों का अंग्रेजी या हिंदी माध्यम में संचालन का फैसला 38 बिंदुओं से होगा। जिसमें स्कूल की पूर्व व वर्तमान स्थिति, नामांकन, भवन, खेल मैदान, संकाय, शिक्षक, हिंदी माध्यम में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों की संभावित संख्या, नामांकित विद्यार्थियों व भामाशाहों की मंशा, एसडीएमसी का प्रस्ताव व जिला शिक्षा अधिकारी की अभिशंषा आदि बिंदू प्रमुख है।
2019 में खुली थी, अब 3300 स्कूलें संचालित
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की शुरुआत पूर्व गहलोत सरकार ने 2019 में की थी। शुरुआत में इन्हें सभी जिला मुख्यालयों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था। बाद में ब्लॉक व पंचायत स्तर पर भी इनका संचालन शुरू कर दिया गया। वर्तमान में प्रदेश में करीब 3300 स्कूल संचालित है।