पालकी पर आ रहीं मां दुर्गा, समाज के लिए नहीं माना जाता शुभ, करने होंगे जतन
अशुभ संकेत दे रहा है मां दुर्गा का वाहन पालकी, 3 अक्टूबर को होगी माता की घटस्थापना सागर. नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर गुरुवार से हो रही है। मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रही हैं। पालकी वाहन शुभ संकेत नहीं दे रहा है, जिसके परिणामस्वरूप समाज में असंतोष एवं विग्रह की स्थिति निर्मित […]
कलाकार दे रहे हैं मूर्तियों को अंतिम रूप, 3 अक्टूबर से हो रही घटस्थापना
अशुभ संकेत दे रहा है मां दुर्गा का वाहन पालकी, 3 अक्टूबर को होगी माता की घटस्थापना सागर. नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर गुरुवार से हो रही है। मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रही हैं। पालकी वाहन शुभ संकेत नहीं दे रहा है, जिसके परिणामस्वरूप समाज में असंतोष एवं विग्रह की स्थिति निर्मित होगी। विभिन्न विषयों को लेकर आंदोलन भी होंगे। आने वाले छह माह में अनेक तरह की समस्याएं रहेंगी। फसलों के लिए भी यह माह शुभ नहीं रहेंगे। वहीं माता की स्थापना के लिए कलाकार मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। 4 माह से बनाई जा रही मूर्तियों में अब कलर हो रहा है और श्रृंगार किया जा रहा है।
पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी ने बताया कि व्यक्ति का विश्वास पालकी की तरह स्थिर नहीं रहेगा। मां दुर्गा जी की झूले की सवारी समाज व फसलों के लिए शुभ संकेत देने वाली नहीं होती है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रस्थान की सवारी भी अशुभ संकेत दे रही है। शुक्रवार को नवरात्रि का समापन होगा। मां दुर्गा का प्रस्थान चरणायुध (बड़े पंजे वाले मुर्गे) पर होगा। मां दुर्गा की मुर्गे की सवारी भी बुरा असर डालेगी।
सप्तशति के पाठ से मिलेगी सफलता
पं. चतुर्वेदी ने बताया कि नवरात्रि में मां दुर्गा का विधिवत अनुष्ठान पूजन व पाठ से साधक को सफलता अवश्य ही मिलती है। दुर्गा सप्तशती के पहले अध्याय का पाठ करने से व्यक्ति की चिंता दूर होती है। दूसरे अध्याय के पाठ से मुकदमा में जीत होती है। तीसरे अध्याय के पाठ से विजय एवं चौथे अध्याय के पाठ से धन, मनो अभिलाषित जीवन साथी व ऋद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है। पांचवें अध्याय के पाठ से भूत, प्रेत, बाधा, भय व बुरे सपने से मुक्ति मिलती है। छठवें अध्याय से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सातवें अध्याय से कार्यों में शीघ्र सफलता एवं आठवें अध्याय से सभी जीव- जंतु से सुरक्षा होती है। नवमें अध्याय से संपत्ति लाभ व दशवें अध्याय से संतान सुख मिलता है। ग्यारहवें अध्याय से तृष्णा से मुक्ति व बारहवें अध्याय से रोगों से छुटकारा मिलता है। तेरहवें अध्याय से समस्त सुख, ऐश्वर्य एवं सम्मान मिलता है। अत: सप्तशती का पाठ अवश्य ही करना चाहिए।
घट स्थापना का मुहूर्त
घट स्थापना के लिए सुबह 9. 28 से सुबह 11. 44 तक विशेष शुभ मुहूर्त है। दोपहर 1.49 के पहले अवश्य ही घट स्थापना कर लें। यदि दिये हुए समय में किन्हीं कारणों से घट स्थापना संभव नहीं हो पा रही है तो उपरोक्त समय में शुद्ध देशी घी का दीपक जलाकर माता रानी की चौकी पर अवश्य ही रख दें। चूंकि कभी भी घट की स्थापना चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग में नहीं की जाती है। इस वर्ष चित्रा नक्षत्र 3 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर प्रवेश हो रहा है। अत: इसके बाद घट की स्थापना करना शास्त्र संवत् नहीं रहेगा।।
चौघड़िया मुहूर्त –
शुभ चौघड़िया – सुबह 6. 08 से सुबह 7.33 तक।
चल चौघड़िया – सुबह 10.35 से दोपहर 12.04 तक
लाभ चौघड़िया – दोपहर 12.04 से दोपहर 1.33 तक।
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