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कैबिनेट के निर्णयों से बंधे हैं राज्यपाल, निर्णयों को खारिज नहीं कर सकते : हाईकोर्ट

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा काट रहे वीरभारती के मामले में हस्तक्षेप किया है और उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यायालय का यह निर्णय तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के लिए झटका है। जबकि अधिकारों को लेकर उनकी और सत्तारूढ़ डीएमके के बीच की टक्कर […]

चेन्नईOct 17, 2024 / 08:47 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

Madras High Court
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा काट रहे वीरभारती के मामले में हस्तक्षेप किया है और उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यायालय का यह निर्णय तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के लिए झटका है। जबकि अधिकारों को लेकर उनकी और सत्तारूढ़ डीएमके के बीच की टक्कर जगजाहिर है। 20 साल से अधिक समय से केंद्रीय जेल पूझल में सजा काट रहे वीरभारती ने अच्छे आचरण के आधार पर शीघ्र रिहाई के लिए आवेदन किया था। उनके आवेदन की राज्य स्तरीय समिति ने संस्तुति की और तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे मंजूरी दे दी। हालांकि, राज्यपाल आरएन रवि ने उनकी रिहाई से इनकार कर दिया, जिसके बाद वीरभारती ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
पेरअरिवालन मामले का संदर्भ

याची ने राज्यपाल के आदेश पर अपील की। इस अपील पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसएम सुब्रमण्यम और जज शिवज्ञानम की पीठ ने सुनवाई की। न्यायालय में दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद पेरअरिवालन मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसलों से बंधे हैं और उन्हें खारिज नहीं कर सकते। न्यायिक पीठ ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास इस मामले में कोई व्यक्तिगत नैतिक अधिकार नहीं है।
वीरभारती की अर्जी पर फिर से विचार करें

इस विचार के साथ न्यायिक पीठ ने वीरभारती की शीघ्र रिहाई से इनकार करने वाले आदेश को रद्द कर दिया और उनकी याचिका पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। इसके अलावा, न्यायालय ने पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी होने तक वीरभारती को अंतरिम जमानत दे दी।उल्लेखनीय है कि यह घटनाक्रम राज्यपाल आरएन रवि और डीएमके सरकार के बीच चल रहे विवाद में नवीनतम है। डीएमके ने राज्यपाल पर बिना सहमति के विधेयकों में देरी करने और कथित तौर पर निर्वाचित सरकार को काम करने से रोकने का आरोप लगाया है। डीएमके ने राज्यपाल की वैधता पर भी सवाल उठाया है, क्योंकि उन्हें लोगों ने नहीं चुना है।
मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को राज्यपाल आरएन रवि के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है और इससे वीरभारती की जल्द रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है।

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