जयपुर चिड़ियाघर प्रदेश का सबसे पुराना चिड़ियाघर है, लेकिन फिलहाल इसके हालात ठीक नहीं हैं। यहां 26 प्रजातियों के 350 से ज्यादा पक्षी रह रहे हैं। उनमें लव बर्ड्स, गोल्डन फिजेंट, सिल्वर फिजेंट, फ्लेमिंगो, सफेद मोर, शुतुरमुर्ग समेेत कुछ ही प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। इनमें भी 90 फीसदी पक्षी उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं। आए दिन किसी न किसी की प्राकृतिक मौत होती रहती है। जो पक्षी यहां रह रहे हैं, उनमें भी केवल बतख और शुतुरमुर्ग ही प्रजनन कर पाए हैं। बीस से अधिक अन्य पक्षी प्रजातियों का प्रजनन भी नहीं हुआ है। ऐसे में इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। इन पक्षियों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण न होना इसकी वजह बताई जा रही है। यहां शुतुरमुर्ग के जोड़े को छोड़कर पिछले दस साल में एक भी विदेशी या अन्य कोई दुर्लभ पक्षी का जोड़ा नहीं लाया गया है। इस वजह से भी पिंजरे खाली पड़े हैं।
ये हालात आ रहे नजर-बर्ड सेक्शन के अधिकांश पिंजरे, दीवारें जर्जर हो चुके। -कई पक्षियों के पिंजरों में कीचड़ की दुर्गन्ध से हाल बेहाल।- कई जगह चूहों ने बिल बना रखे। – अजगर व अन्य प्रजाति के सांपों के पिंजरों की भी स्थिति खराब।………….
प्रोटोकॉल की भी उड़ रहीं धज्जियां-केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की ओर से बनाए प्रोटोकॉल के तहत राजधानी में चिड़ियाघर की जैसी देखरेख होनी चाहिए, वैसी नहीं हो रही है। यहां प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ रही हैं।जैविक उद्यान पर ही पूरा फोकस-वर्ष 2016 से पूर्व जयपुर के चिड़ियाघर में ही बाघ, बघेरे, शेर-शेरनी, पक्षी रहते थे। इसके बाद ज्यादातर वन्यजीवों को नाहरगढ़ जैविक उद्यान में शिफ्ट कर दिया गया। उसके बाद से जैविक उद्यान पर ही पूरा फोकस हो रहा है। ऐसे में चिड़ियाघर की अनदेखी हो रही है। जबकि यहां 800 से 1000 लोग रोजाना घूमने आते हैं।
………….क्या हुआ पक्षी विहार का पूर्ववर्ती राज्य सरकार ने इस चिड़ियाघर के बर्ड सेक्शन को बरकरार रखते हुए पक्षी विहार बनाने की घोषणा की थी लेकिन अब तक इसका काम शुरू नहीं हो सका है। डीएफओ जगदीश गुप्ता का कहना है कि नक्शा रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को भेजा जा चुका है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे काम हो पाएगा। पक्षी विहार बनने के बाद यहां विदेशों में पाए जाने वाली प्रजातियों के पक्षी लाने की भी योजना है।