एक साल पहले चिंहित हुई थी 223 कॉलोनी
विगत वर्षों में नगरीय निकाय के प्रस्ताव और शहरी विकास अधिकरण द्वारा 223 अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया गया था, लेकिन एसडीएम कार्यालयों में लंबित फाइलों के कारण अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इससे इन कॉलोनियों में अवैध प्लाटिंग का काम धड़ल्ले से जारी है और स्थानीय लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस अव्यवस्था के कारण भू-माफिया के झांसे में आकर कई लोग अपनी ज़मीन गंवा रहे हैं।
एसडीएम कार्यालयों में अटकी हैं कार्रवाई की फाइलें
जानकारी के अनुसार, जिले के एसडीएम कार्यालयों में अवैध कॉलोनियों की फाइलें लंबित पड़ी हैं, और इसके कारण अवैध कॉलोनाइजरों को मनमानी करने का पूरा मौका मिल रहा है। इस समस्या का संज्ञान लेते हुए कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने जिले भर के राजस्व अधिकारियों को अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने साफ तौर पर कहा है कि किसी भी अवैध कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने वाले एसडीएम के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।
जहां मास्टर प्लान लागू नहीं, वहां ज्यादा घालमेल
हालांकि, टीएंडसीपी से सिर्फ छतरपुर और खजुराहो में ही मास्टर प्लान लागू है, जिससे इन दोनों नगरों में अवैध प्लाटिंग पर कुछ हद तक नियंत्रण रखा जा सकता है। लेकिन जिले के अन्य क्षेत्रों जैसे नौगांव, हरपालपुर, राजनगर, लवकुशनगर आदि में अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है। इन क्षेत्रों में भू-माफिया अवैध कॉलोनियां विकसित कर रहे हैं, जिससे कमजोर वर्ग के लोगों के लिए घर बनाना महंगा हो रहा है।
खजुराहो में 69 अवैध कॉलोनियां
खजुराहो में जिले की दूसरी सबसे बड़ी संख्या में अवैध कॉलोनियां पाई गई हैं, जहां 69 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की गई हैं। इसके बावजूद, यहां भी अवैध प्लॉट की खरीदी और बिक्री पर रोक नहीं लग पाई है, क्योंकि एसडीएम कार्यालयों में अवैध कॉलोनाइजरों की मजबूत पकड़ है। अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 292 सी और नगरपालिका अधिनियम, 1961 की धारा 339 सी के तहत तीन से सात साल तक की जेल और 10 हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है। इसके अतिरिक्त, जिन कॉलोनियों में 10 फीसदी ओपन एरिया नहीं छोड़ा गया है, उन पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है।
सार्वजनिक भूमि पर कॉलोनी नहीं हो सकती वैध
अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ एसडीएम को खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने का अधिकार है, और यदि कॉलोनियों ने सार्वजनिक भूमि, तालाब, या सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण किया है, तो उन्हें वैध नहीं माना जाएगा। पंचायत क्षेत्र में कलेक्टर के पास अवैध कॉलोनियों को समाप्त करने और कार्रवाई करने का अधिकार है, जबकि नगर निकाय क्षेत्र में सीएमओ के प्रस्ताव पर एसडीएम कार्रवाई कर सकते हैं।