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जिले के आधे हिस्से में बाढ़ के हालात के बाद भी शहर को पानी पिलाने वाला प्रमुख तालाब अभी भी प्यासा!

शहर में औसत की एक चौथाई हो गई बारिश फिर भी तालाब रह गए खाली पन्ना. जिले में अब तक करीब 900 मिमी. बारिश हो गई है। यह औसत बारिश का तीन चौथाई है। इस बारिश से आधा जिला बाढ़ की चपेट में आ चुका है, इसके बाद भी शहर को पेयजल की आपूर्ति करने […]

पन्नाAug 30, 2024 / 07:02 pm

Anil singh kushwah

शहर में औसत की एक चौथाई हो गई बारिश फिर भी तालाब रह गए खाली

शहर में औसत की एक चौथाई हो गई बारिश फिर भी तालाब रह गए खाली

शहर में औसत की एक चौथाई हो गई बारिश फिर भी तालाब रह गए खाली

पन्ना. जिले में अब तक करीब 900 मिमी. बारिश हो गई है। यह औसत बारिश का तीन चौथाई है। इस बारिश से आधा जिला बाढ़ की चपेट में आ चुका है, इसके बाद भी शहर को पेयजल की आपूर्ति करने वाले दोनों बड़े तालाब खाली पड़े हैं। हालात यह है कि लोकपाल सागर तालाब अभी तक 20 से 25 फीसदी ही भर पाया है। तालाबों के खाली रह जाने की स्थिति में एकबार फिर शहर को पूरे साल पानी की समस्या से जूझना पड़ेगा। सालभर शहर की प्यास बुझाने वाले तीनों तालाबों में सबसे बड़ा लोकपाल सागर तालाब है। इसकी अधिकतम जलभराव क्षमता 92 फीट की है। इस तालाब में पानी का स्तर 76 फीट पर है।
बाढ़ के बीच सूखा!
व्यावहारिक रूप से देखें तो यह तालाब अभी अपनी क्षमता के अनुसार 20 से 25 फीसदी ही भर पाया है। वर्ष 2022 में भी मानसून सीजन में 15 अक्टूबर तक 1178.5 मिमी. औसत बारिश रिकॉर्ड हुई थी। यह जिले की औसत बारिश 1176.4 मिमी. से भी अधिक थी। तब भी यह तालाब करीब 50 फीसदी ही भर पाया था। ऐसे में आशंका है कि इस बार औसत बारिश भी हो जाती है, तब भी तालाब नहीं भर पाएगा। इसके पीछे बड़ी वजह अतिक्रमण बताया जा रहा है।
इस तरह पट्टे जारी करेंगे तो कैसे भरेगा तालाब
इंसान की भूख है कि शांत होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष 2020 के फरवरी महीने में तत्कालीन तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी ने तालाब से लगी 11 हेक्टेयर जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। इस दौरान राजशाही जमाने की एक प्राचीन बावड़ी भी अतिक्रमणमुक्त कराई गई थी। तालाब से सटी जमीनों के पट्टे जारी होने से कैचमेंट एरिया कम हो रहा है। इसी तरह से अगर पट्टे जारी किए जाते रहे, तो तालाब की जमीन तो बचेगी ही नहीं। गौरतलब है कि उक्त तालाब से महज दो से तीन किमी. क्षेत्र में ही डायमंड पार्क, एग्रीकल्चर कॉलेज, रेलवे स्टेशन, मेडिकल कॉलेज सहित अन्य कई बड़े प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। प्रभावशाली और असरदार लोग क्षेत्र में बेशकीमती जमीन हथियाने पर लगे हैं।
कुडिय़ा नाला डायवर्सन भी नहीं आया काम
तालाब को कृत्रिम रूप से बारिश के पानी से भरने का प्रोजेक्ट तत्कालीन कलेक्टर शिवनारायण ङ्क्षसह चौहान ने बनाया था। उसका स्थानांतरण होने के बाद कलेक्टर मनोज खत्री के समय में पहाड़ी के ऊपर से बहने वाले कुडिय़ा नाला के पानी को तालाब तक लाने के लिए कृत्रिम नहर बनाई गई थी। इस नहर से आने वाले पानी से पहाड़ी पर बनी वन विभाग की तलैया भी नहीं भर पाई, जिससे बारिश में कुडिया नाला का पानी तालाब तक पहुंच ही नहीं पाया और इसका पेट खाली ही रह गया। दूसरी ओर किलकिला फीडर का पानी नहर के माध्यम से लाने के लिए करीब 6 करोड़ के लागत से काम चालू हुआ था, जो ठेकेदार और विभाग की लापरवाही से अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
क्षमता 6.37 मिलियन घन मीटर
लोकपाल सागर तालाब का निर्माण तत्कालीन पन्ना महाराज लोकपाल ङ्क्षसह ने 1893 से 97 के बीच कराया था। उस दौरान इसकी इसकी कुल जल आवक क्षमता 16 वर्ग किमी क्षेत्र से थी। कुल जल भराव क्षमता 6.37 मिलियन घन मीटर थी, जिसमें ङ्क्षसचाई के लिए जीवित जलभराव क्षमता 6.19 मिलियन घन मीटर और मृत जलभराव क्षमता 0.18 मिलियन घन मीटर थी। तालाब में जल आवक क्षेत्र की क्षमता पूर्व में निर्मित किलकिला फीडर नहर मेंं मिट्टी, पत्थर एवं मुरुम स्लिप होने से अवरुद्ध हो गई, जिससे धीरे-धीरे इसका जल आवक क्षेत्र घटकर 5.95 वर्ग किमी रह गया है। अब क्षेत्र में जमीनों के पट्टे जारी किए जाने और लोगों द्वारा पक्के निर्माण किए जाने और मेड़ बनाकर खेती करने से आवक और भी कम गई है। इससे तालाब पूरी क्षमता से नहीं भर पाता है।
शहर फिर सालभर झेलेगा जलसंकट
शहर में करीब तीन साल से एक दिन छोड़कर एक घंटे के लिए पानी की सप्लाई की जाती है। 48 घंटों में महज एक घंटे पानी की सप्लाई होती है। वह भी किसी दिन बिजली गुल होने से नहीं मिल पाता है तो किसी दिन नगर पालिका की मशीनों में गड़बड़ी आने से। अब इस साल भी तालाब के खाली रह जाने से आगामी पूरे साल शहर के लोगों को ऐसे ही जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है।
बारिश से नहर निर्माण का काम रूका, नहर बनते ही भरने लगेगा तालाब
तालाब किसी नाले या नदी पर नहीं बना है, इसलिए इसमें पानी कम आता है। राजशाही जमाने में भी यह बारिश के पानी से नहीं भर पाता रहा होगा, इसलिए इसे कृत्रिम रूप से भरने के लिए किलकिला फीडर नहर बनाई गई रही होगी। किलकिला फीडर नहर का काम बारिश में अभी यह रुका हुआ है। बारिश के बाद दोबारा शुरू करा दिया जाएगा। नहर बन जाने से तालाब नहर के पानी से भर जाया करेगा। -सतीश शर्मा, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन पन्ना

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